“संगठित समाज सशक्त राष्ट्र की नींव और निष्काम सेवा है ईश्वर की सच्ची आराधना”:- साध्वी दिवेशा भारती
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से श्री राम मन्दिर अन्नाडेल में पांच दिवसीय शिव कथा के अंतिम दिवस के प्रारम्भ में प्रदीप शर्मा और मृदु शर्मा ने परिवार सहित विधिवत पूजन किया। अपने प्रवचनों में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री दिवेशा भारती जी ने बताया की भगवान शिव की कथा मानव जीवन को सुंदर बनाने के लिए अनंत शिक्षाओं से ओतप्रोत है। यह कथा मानव को सद दिशा की तरफ जाने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा की कैलाश में परस्पर प्रेम के साथ निवास कर रहा शिव परिवार समाज को एकत्व के सूत्र में बंधने का संदेश देता है। यदि हम भगवान शिव के परिवार का अवलोकन कर देखें तो पाएंगे कि भगवान शिव का वाहन नंदी है, मां पार्वती सिंह की सवारी करती हैं, कार्तिकेय का वाहन मोर, गणेश का वाहन चूहा है। साधारण जीवन शैली में न तो बैल और सिंह एक जगह पर निवास कर सकते हैं और न ही मयूर व मूषक। लेकिन कैलाश पर्वत पर यह सभी जीव एक स्थान पर ऐसे निवास करते हैं जैसे एक ही प्रजाति के जीव हों। भगवान शिव का परिवार मानव समाज को संगठन शक्ति में बंधने की प्रेरणा देता है।
साध्वी दिवेशा भारती जी ने शिव विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जब भगवान शिव बारात लेकर चलते हैं तो बैल पर सवार हुए। बैल साक्षात धर्म का प्रतीक है। वह हमें बताना चाहते हैं कि हर इंसान को अपना कार्य धर्म में स्थित होकर करना चाहिए। परंतु आज वास्तविक को न जानने के कारण मानव समाज दानवों का समाज बन गया है। चारों ओर भ्रष्टाचार, अश्लीलता, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, वासना, नशा इत्यादि कुरीतियां फैल रही हैं। यदि समाज को देवतुल्य बनाना है तो प्रत्येक इंसान को धर्म में स्थित होना पड़ेगा। धर्म भाव उस ईश्वर को जानना। परमात्मा की अनुभूति अपने घट के भीतर कर लेना। साध्वी जी ने बताया कि हिमवान व मैना अपने ही बेटी के रूप में साक्षात शक्ति तथा द्वार पर खड़े भगवान भोलेनाथ को वह पहचान ही ना पाए। लेकिन जब उनको नारद जी ने आकर वास्तविकला का बोध करवाया तो वह सत्य से परिचित हो पाए। मानव भी आज अपने ही भीतर बैठे परमात्मा को न जानने से दुखी व अशांत हैं। लेकिन वह उसे तब तक नहीं जान सकता जब तक उसके जीवन में नारद रूपी गुरु का आगमन नहीं होता। गुरु की पहचान बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि गुरु शब्द दो शब्दों के मिलाप से बना है।’ गु’
और ‘रु’। ‘गु’ भाव अंधकार और ‘रु’ भाव प्रकाश। जो मानव के अंतः करण में व्याप्त अंधकार व ईश्वर संबंधी संदेहों को प्रकाश व आत्मज्ञान के माध्यम से तिरोहित कर दे वही पूर्ण गुरु है। कथा में शिव विवाह की सुन्दर झांकी भी प्रस्तुत की गई और सभी ने नाच गाकर खुशियां मनाई।
कथा में विधायक शिमला हरीश जनार्था विशेष रूप से पहुंचे और प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त किया इनके साथ नम्बरदार राजेन्द्र ठाकुर,पार्षद उर्मिला कश्यप,पार्षद कांता सिहाग,जोगिंदर सिंह ठाकुर भी उपस्थित रहे।
संस्थान की ओर से स्वामी धीरानन्द जी ने कथा में तन,मन और धन से सहयोग अर्पित करने वाले सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया।
नम्बरदार राजेन्द्र ठाकुर जी के परिवार ने कथा व्यास जी को शॉल ओढ़ाकर सभी सन्त समाज को माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रदीप शर्मा जी ने कथा व्यास जी को हिमाचली टोपी पहनाकर और सन्त समाज को वस्त्र प्रदान कर आशीर्वाद लिया।कार्यक्रम को विराम प्रभु की मंगल आरती एवं भंडारे के साथ किया गया।।