नूरपुर,हिमशिखा न्यूज़
पौग झील जलाशय मे प्रवासी पक्षीयो का आए दिन मरना अपने आप मे कोई समस्याओ की ऒर इशारा तो नहीं है पक्षीयो का लगातार मरना ऒर आसपास महाराणा प्रताप सागर झील पौग बाध ले सटे जिसमें साइबेरियाई पक्षी जिनको देसी भाषा मे गुज्जा के नाम से सम्बोधित किया जाता हैं इस झील मे भिन्न भिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी तो मर ही रहे। है इसके साथ साथ हमारे लोकल प्रजाति के पक्षी भी इसकी चपेट मे आ रहे है प्रवासी पक्षियों की हर सुबह की दस्तक से ये पौग झील इनके शोरगुल झील अपने पुरे यौवन आ जाता था। पर इनके मृतक पक्षीओ की मरने से झील शान्तमय हो गयी है क्योंकि इस झील की रौनक भी इन पक्षियों की चहचहाट से ही थीं इन प्रवासी पक्षियों की सबसे पसंदीदा इदगाह पौग झील ही है जिसमें रेसर टापु बैहगुरिया पीर नाला कुठेडा का टापू इत्यादि छोटी छोटी रेसरी टापुओ मे रात्री विश्राम करते थे ये प्रवासी पक्षी की झुंडों मे पाए जाते है वैसे तो इनकी वहुत प्रजातियां पाई जाती है जिनमें प्रमुख कारवोनेटगुज, रूडी सैल, बार हीट ,हैडीड बतखे कामनटील ,गेटथिकन, वारहैडिडगिग,कौमनपोचड,लिटि ल कार्बोनेट , नोर्मन शाबलर ,पर सबसे ज्यादा प्रवासी पक्षी वारहैडिडगिज चीन से काफी तादाद मे ये पक्षी पौग झील मे आते प्रवासी पक्षियों की मरने के उपरांत जिलाधीश राकेश प्रजापति ने पौग झील मे होने वाली सभी प्रकार की गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी है इस समस्या से सबसे बड़ी गाज ग़रीब मछुआरो पर गिरी है जिन मछुआरो ने झील मे जाल लगाये थे उनके जाल पानी के वीच मे ही है। क्योंकि प्रशासन ने प्रचार एनासमैन्ट करके लोगों को अगाह किया कि वे ना तो ने जाल लगाए ना ही मवेशीओ को चरवाने हेतु झील के किनारे छोड़े क्योंकि यहाँ वता दे कि पहले लाकडाउन की वजह से भी झील तीन चार महीने बन्द रही थी। सबन्धित अधिकारी वताते है कि पौग झील को रैड अलर्ट घोषित किया हुआ है अगर कोई व्यक्ति पौग झील मे मत्स्य आखेट ,गेहु की रखवाली ,या अपने मवेशीओ को चराता व किसी प्रकार की गति विधी मे सलिपत पाया जाता है तो उसके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज की जाएगी इन प्रवासी पक्षियों के मरने से काफ़ी संख्या मे लोग डरे व सहमे हुए है वैसे तो सम्बंधित विभाग दुरा लोगो को आगाह किया जा चुका है वन्य प्राणी विभाग के डीएफ ओ रोहन रहाणे ने बताया कि विभाग दुरा अलग अलग टीमे बनाई। गयी है जोकि सुबह शाम तक एरिया मे सुचारु रुप से रिसर्च कर रही जहा जहा प्रवासी पक्षी मृत पाए जा रहे है उनको इकट्ठा करके दबाया जा रहा। आखिरी मे उन्होंने लोगों से आपील की कोई भी मृत पक्षी मिलता है तो उसे छुए ना व्लकी वैटनरी डाक्टर को बुलाए और वन्य प्राणी विभाग को सुचित करे इसके साथ हमारे स्थानीय पक्षी जैसे काला कौआ काफ़ी संख्या मे मर रहै है विभाग ने इस वलैक कौआ पर पैनी नजर गडाई हुई है क्योंकि हो सकता है कि इन मरे पक्षीओ को कुत्ते ,स्थानीय पक्षी या जगली जानवर खा रहे हैं। तो इनमें भी किसी प्रकार का सकमण वायरस हो सकता है तो खतरा बढने की अशका वनी रहेगी। ऒर अभी इस विमारी की फाइनल रिपोर्ट भोपाल से आने के वाद वर्ड फलू की पुष्टि हो गयी है आज मौके पर बर्ड लाइफ इसटीटयुट आफ इडिया देहरादून से तीन सदस्यी टीम पौगबाध मे पहुची चुकी है वो भी स्थित का जायजा ले रही है