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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा क्योंथल बैंक्वेट हाल, खलीनी में सात दिवसीय श्री राम कथामृत का आयोजन किया गया है। कथा से पहले रोशन ठाकुर जी ने परिवार सहित पूजन किया।श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री रुपेश्वरी भारती जी ने कथा के दूसरे दिवस श्री राम जन्म प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कथा मात्र चौपाइयों का गायन ही नहीं बल्कि उसके मध्य अनेक दिव्य आध्यात्मिक रहस्य विद्यमान है। भगवान राम निराकार ब्रह्म है जो अधर्म ,पाप व अत्याचार मिटाने के लिए अवतरित होते हैं। संसार में नाना प्रकार के रोग ,शोक ,जन्म ,मृत्यु इत्यादि में पड़े मानव को सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रभु अवतरित होते हैं। साध्वी जी ने कहा की आठ चक्रों व नवग्रहों से परिपूर्ण मानव तन को भी शास्त्रों में अयोध्या कहा गया है। उन्होंने बताया कि माता कौशल्या ने अपने घट में जिस प्रकार प्रभु के रूप के दर्शन किए ठीक इसी प्रकार हम भी अपने भीतर ऐसा अनुभव पूर्ण सद्गुरु की कृपा से कर सकते हैं।
समाज की वर्तमान स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक मनुष्य का अंतःकरण अंधकारमय है। अज्ञानता के तम से आच्छादित है। जब जब मानव के भीतर अज्ञानता व्याप्त होती है तब तब मानव का समाज मानवता से रिक्त हो जाता है। मानव में मानवीय गुणों का ह्रास होने लगता है। समाज में अधर्म,अत्याचार ,अनाचार ,
भ्रष्टाचार ,व्यभिचार आदि कुरीतियां अपना सिर उठाने लगती है ।यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने उस परम तत्व के समक्ष यह प्रार्थना की है कि हे प्रभु हमारे भीतर के अंधकार को दूर कीजिए ताकि ज्ञान प्रकाश को पाकर हम अपने जीवन को सुंदर बना सकें । जब तक मानव अज्ञानता के गहन अंधकार से त्रस्त रहेगा तब तक उसका सर्वांगीण विकास संभव नहीं है ।अंधेरा हमें भ्रमित भी करता है और भयभीत भी करता है ।प्रकाश में सब कुछ स्पष्ट दिखता है ।ना कोई भ्रम रहता है ना ही भय। जिस प्रकार बाहर के प्रकाश से बाहरी अंधकार दूर होता है उसी प्रकार आंतरिक ज्ञान प्रकाश से आंतरिक अज्ञान समस्त नष्ट होता है । ज्ञान की प्राप्ति किसी पूर्ण गुरु की शरण में जाकर ही होगी । जो मानव के भीतर उस ईश्वरीय प्रकाश को प्रकट कर देते हैं । यही कारण है कि शास्त्रों में जब भी इस ज्ञान प्रकाश के लिए मानव जाति को प्रेरित किया तो इसकी प्राप्ति हेतु गुरु के सानिध्य में जाने का उपदेश दिया। मात्र केवल बुद्धि से उस ईश्वर को नहीं जाना जा सकता ईश्वर को जानने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। ईश्वर बुद्धि से परे का विषय है। कथा प्रसंग के माध्यम से साध्वी जी ने बताया कि माता सती ने भी जब अपने बुद्धि के माध्यम से प्रभु श्री राम को जानने का प्रयास किया तो वह भ्रमित हो गई ।उन्हें प्रभु श्रीराम पर संशय हो गया ।ईश्वर के वास्तविक रूप को जानने के लिए ज्ञान दृष्टि की आवश्यकता है।
साध्वी जी ने कहा कि आज वर्तमान समय में प्रभु श्री राम के आदर्श जीवन से शिक्षा ग्रहण करके मानव अपने जीवन को महान बना सकता है। आज आवश्यकता है कि हर घट के भीतर प्रभु श्री राम का प्रकाश प्रकट हो। प्रभु श्री राम की कथा का यही लक्ष्य है । कथा में बड़सर विधायक इन्द्र दत्त लखनपाल विशेष रूप से पहुंचे और आशीर्वाद प्राप्त किया। विधायक लखनपाल ने संस्थान द्वारा आयोजित कथा कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान समय समय पर लोगों को धर्म से जोड़े रखने के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता है जिसका हम सब को लाभ लेना चाहिए। साध्वी बहनों ने भावपूर्ण भजनों का गायन किया। सारी संगत ने प्रभु श्री राम को झूला झुलाकर खुशी व्यक्त की। कार्यक्रम में शहर के विशिष्ट अतिथि गण भी मौजूद थे। कथा का समापन प्रभु की पावन आरती से हुआ।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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