कुम्भ में भोजन व्यवस्था के लिए दिया 50.2 लाख रुपये का चेक
राज्यपाल से भेंटकर शांधीवासी लोकिन्द्र चंदेल ने की भावनाएं व्यक्त
कहा, कुम्भ 144 साल बाद आया है मेरा भी योगदान हो*
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुम्भ के दिव्य आयोजन में जहां दुनिया भर के करोड़ों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं वहीं हिमाचल प्रदेश के ऐसे कई गुमनाम व्यक्ति भी हैं जो किसी न किसी रूप में अपनी श्रेष्ठ भावनाएं समर्पित कर रहे हैं। उनमें से एक हैं शिमला के निकट शोघी वासी लोकिन्द्र मोहन चंदेल। उन्होंने कुम्भ में श्रद्धालुओं के भोजन की व्यवस्था के लिए 50 लाख दो हजार रुपये प्रदान किए हैं। इस बाबत एक चेक उन्होंने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को दिया है और उनके माध्यम से इस व्यवस्था का आग्रह किया है।
लोकिन्द्र मोहन चंदेल उद्यमी हैं। उन्होंने न केवल कुम्भ में श्रद्धालुओं की भोजन व्यवस्था के लिए धनराशि उपलब्ध करवाई है बल्कि हिमाचल प्रदेश के निवासी होने के नाते मुख्यमंत्री राहत कोष में भी दो लाख 5 हजार का चेक राज्यपाल के माध्यम से दिया है। राजभवन में राज्यपाल से एक शिष्टाचार भेंट में उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए दो लाख पांच हजार रुपये का चेक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 2 लोख पांच हजार का चेक राज्यपाल के माध्यम से प्रदान किया है। इस अवसर पर, शिमला के सामाजिक कार्यकर्ता दीपक शर्मा अखिल भारतीय शारश्वत परिषद् के उपाध्यक्ष गौरव शर्मा भी उनके साथ उपस्थित थे।
शुक्ल ने चंदेल की श्रद्धा और भावनाओं का सम्मान करते हुए अंशदान के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह महाकुम्भ विश्व का विशालतम आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक समागम है, जो करीब 144 वर्षों के बाद आया है। यह पावन पर्व हमारे प्राचीन भारतीय संस्कारों और अध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। महाकुम्भ केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सद्भावना और मानवता का विराट उत्सव है, जो पूरे विश्व को भारत की समृद्ध परंपरा से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि इस महाकुम्भ में हर सनातनी अपनी इच्छा से किसी न किसी रूप में ईश्वरीय कार्य करने के लिए अपने आप को समर्पित कर रहा है।
राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।