शिमला,हिमशिखा न्यूज़।08/07/2022
41 वें नाबार्ड स्थापना दिवस के उपलक्ष में नाबार्ड, हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय मेला 2022 का आयोजन
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुधांशु मिश्रा ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा नाबार्ड 12 जुलाई 1982 को आरबीआई के कृषि ऋण कार्यों और तत्कालीन कृषि पुनर्वित्त और विकास निगम (एआरडीसी) के पुनर्वित्त कार्यों को स्थानांतरित करके अस्तित्व में आया। नाबार्ड का लक्ष्य है कि सतत और न्यायसंगत कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए सहभागी वित्तीय और गैर-वित्तीय हस्तक्षेपों, नवाचारों, प्रौद्योगिकी और संस्थागत विकास के माध्यम से समृद्धि हासिल करना है। नाबार्ड अपनी वित्तीय, विकासात्मक और पर्यवेक्षी भूमिका के आधार पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लगभग हर पहलू को छू रहा है, जिसमें पुनर्वित्त सहायता प्रदान करना, ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण, जिला स्तर की ऋण योजना तैयार करना, ऋण लक्ष्यों को प्राप्त करने में बैंकिंग उद्योग को मार्गदर्शन और प्रेरित करना, सहकारी बैंकों की निगरानी करना और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, बैंकों के सुदृढ़ बैंकिंग प्रथाओं को विकसित करना, ग्रामीण विकास के लिए नई परियोजनाओं को डिजाइन करना, भारत सरकार की विकास योजनाओं को लागू करना, हस्तशिल्प कारीगरों को प्रशिक्षण देना एवं उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए एक विपणन मंच प्रदान करना, आदि शामिल है।
नाबार्ड सूक्ष्म ऋण नवप्रवर्तन तथा कृषीत्तर क्षेत्र विकास विभाग के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता ‘समूहों को वित्तपोषण, स्वयं सहायता समूहों का डिजिटलीकरण ई-शक्ति, गाँव सत्तरीय कार्यक्रम, सूक्ष्म उद्यमिता विकास कार्यक्रम, आजीविका उड्यमिता विकास कार्यक्रम, ग्रामीण उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम, ग्रामीण दुकान क्लस्टर विकास प्रदर्शनियां और मेलों का आयोजन, आदि के विभिन्न कार्य हिमाचल प्रदेश में करता आ रहा है।
12 जुलाई 2022 को नाबार्ड अपना 41वां स्थापना दिवस मना रहा हैं। इस उपलक्ष में हिमाचल प्रदेश में नाबार्ड द्वारा समर्थित एसएचजी/जेएलजी/एफपीओ को विपणन के अवसर प्रदान करने के लिए नाबार्ड, हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय मेला 2022 का आयोजन रिज, शिमला पर 12 जुलाई से 14 जुलाई 2022 तक किया जाएगा।
इस मेले में नाबार्ड द्वारा समर्थित स्वयं सहायता समूहों के ग्रामीण महिलाओं और किसान उत्पादक संगठनों के किसानों द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। मेले में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न ज़िलो के लगभग 28 स्वयं सहायता समूह तथा किसान उत्पादक संगठन हिस्सा ले रहे हैं। शिमला में इस तरह की पहल ” नाबार्ड ग्राम्य उत्पाद मेला 2018″के रूप में शुरू हुई थी जिसमें स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं एवं कृषक उत्पादक संगठनों के उत्पादों को बेचने तथा खरीदने का सुअवसर दिया गया था।
मेले के उदघाटन से पूर्व हुए पत्रकार सम्मेलन में नाबार्ड हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महा प्रबन्धक, डॉ. सुधांशु. के. के. मिश्रा ने देश तथा राज्य के ग्रामीण इलाकों के समग्र विकास में नाबार्ड के योगदान के बारे में बताते हुए कहा कि जहां देश में लगभग 90 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन नाबार्ड के सहयोग से किया जा चुका है वहीं हिमाचल में भी लगभग 62000 स्वयं सहायता समूहों और 108 उत्पादक संगठनों का गठन किया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि इस मेले में प्रदेश के सुंदर ज़िले चम्बा, किन्नौर और लाहौल स्पीति के उत्पाद भी प्रदर्शित किये जाएंगे।
अन्य जिलों के पहाड़ी मसाले, दालों एवं पहाड़ी व्यंजनों की भी प्रदशनी लगाई जाएगी जिसमें सिड्डु तथा लुशके आदि होंगे। मंडी और किन्नोर जिले के मशहूर ऊनी हैंडलूम उत्पादों जैसे शॉल एवं मफ़लर जो मंडी और किन्नोर की ग्रामीण महिलाओं द्वारा हाथ से तैयार किये जाते हैं, वह भी यहाँ उपलब्ध होंगे। ऊना जिले के ग्रामीणों द्वारा बांस से तैयार फर्नीचर की प्रदर्शनी भी यहाँ लगायी जाएगी।