पंचायतों के विकास कार्यों में भी आॅन लाईन टैंडर प्रक्रिया आरंभ करे सरकार
शिमला 20 जनवरी । मनरेगा में आॅन लाईन हाजरी और लोक निर्माण विभाग में सभी विकास कार्याें के आॅन लाईन टैंडर करने पर सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय का आम जनता ने स्वागत किया है । लोगों ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मांग की है कि लोक निर्माण विभाग की तर्ज पर जल शक्ति विभाग और ग्रामीण विकास विभाग एवं पंचायतीराज में भी इस प्रक्रिया को लागू की जाए ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके । जुन्गा क्षेत्र के बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि विशेषकर पंचायतों में एक से पांच लाख तक के विकास कार्य काफी मात्रा में करवाए जाते हैं जिनमें किसी प्रकार की टैंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है बल्कि अपने चेहतों को काम दिए जाते हैं जिसमें अक्सर गुणवता का सदैव अभाव रहता है । इसी प्रकार भारत सरकार द्वारा मनरेगा के कार्यों में आॅन लाईन हाजरी लगाने के निर्णय से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा । लोगों का कहना है कि अतीत में मनरेगा के विकास कार्यों में बहुत धांधली हुई है । मनरेगा के तहत अनेक समृद्ध परिवारों को सिंचाई टैंक, भूमि सुधार और गौशाला निर्माण के लिए अनेक पंचायतों ने योजनाएं स्वीकृत की गई है जिसके कार्यान्वयन में गरीबों के मनरेगा जाॅब कार्ड का मस्टाॅल पर इस्तेमाल होता रहा हैं । गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले गरीब लोगों को मनरेगा का लाभ बहुत कम मिल पाया है । अनेक पंचायतों ने एक एक परिवार को तीन से चार टैंक स्वीकृत कर दिए जबकि गरीब व्यक्ति के हिस्से में एक भी आता था ।
लोगों की सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू से यह भी मांग की है कि बीपीएल परिवारों का दुबारा से चयन किया जाए । मौजूदा सूचियों में अधिकांश साधन संपन परिवार शामिल है क्यांेंकि ग्राम सभा की बैठक में गांव के कुछ प्रभावशाली व्यक्ति अपने चहेतों को बीपीएल सूची में डलवा देते हैं और गरीब व्यक्ति के चयन को दरकिनार किया जाता है । नाम न छापने की शर्त पर अनेक लोगों ने बताया कि अनेक बीपीएल में शामिल परिवारों के पास पक्के मकान, चैपाहिया वाहन इत्यादि सभी सुविधाएं उपलब्ध है परंतु उन्होने बीपीएल सूची में डालने के लिए अपने बच्चों के परिवारों को पंचायत रजिस्टर में अलग दर्शाया गया है । लोगों का कहना है कि पंचायत के कार्यों का आॅडिट होना चाहिए । आॅडिट न होने की स्थिति में पंचायतों में घोटालों की संभावनाएं बहुत रहती है । पंचायतों के विकास कार्याें के निरीक्षण में विभागीय टीम द्वारा सोशल आॅडिट की केवल औपचारिकताएं निभाई जाती है । पंचायते प्रशासन की मूल इकाई मानी जाती है जिसमें पारदर्शिता लाने के लिए सुक्खू सरकार को भविष्य में कड़े फैसले लेनें की आवश्यकता है ।