चेहरा पढ़कर ही बता देते हैं हर रोग.………………………………
डॉ. अनुराग विजयवर्गीय ऑरा, ब्लड ग्रप ब्यूटी स्पॉट, फेस रीडिंग, आइरिस नेल्स नाड़ी, प्रकृति, नाक, बाल, लिप्स, पिपल्स, स्किन 13 प्रकार से रोगियों का परीक्षण करके रोगों की सटीक पहचान करने की दुर्लभ विद्या में महारत होने के कारण लोकप्रिय है। रोग निदान करने की विष्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की दुर्लभम एवं रहस्यमयी विद्याओं को लोक-कल्याण की भावना से पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इन दुर्लभ विद्याओं के बारे में डॉ विजयवर्गीय विगत चार दषक से भी अधिक समय से अनवरत शोध कार्य कर रहे हैं। उनका यह ज्ञान अनुभूति अथवा अंतान से पैदा हुआ विषुद्ध ज्ञान है। प्राचीन आयुर्वेदीय व थों में इन विद्याओं के बारे में केवल इद्वारा किया गया है। डॉ विजयवर्गीय अपनी बलवान चेतना शक्ति की बदौलत किसी भी व्यक्ति को देखते ही उसके जन्म से मृत्यु पर्यंत पैदा होने वाले रोगों के बारे में बता देते हैं। इस प्रकार रोगों की पहचान करने वाले वैद्यों की प्रजाति इन दिनों विलुप्त होने के कगार पर ही है।
नीद नहीं आना, डिप्रैषन, माइग्र`न, थकान, विविध सैक्सुअल डिस्ऑर्डर्स स्टेंस लेवल तनाव फैटी लीवर, किडनी फेलियर हार्ट अटैक, गुरदों की पथरी, गाल ब्लेडर, कैंसर, ब्रटेन ट्यूमर इत्यादि को बता देने की प्राचीन आयुर्वेदीय विधा में निपुण हैं। वे चेहरा देखकर ही गाल ब्लेडर, किडनी, लंग्स, लीवर, पैंक्रियाज, स्पलीन इत्यादि की सेहत का स्कैन कर देते हैं। त्रिदोष, अग्नि, विविध मनोभावों एवं उनसे पैदा होने वाले विविध रोगों का भी सही विष्लेषण कर देते है। अपने इस अनूठे पारंपरिक टाइम टैस्टेड ज्ञान की बदौलत अभी तक हजारों लोगों को बिना किसी लैब टैस्टिंग के ही स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर चुके हैं।
डॉ अनुराग विजयवर्गीय किसी भी व्यक्ति का चेहरा देखकर ही ब्लड प्रष्ार डायबिटीज, हाइपो थायरिडिज्म, लिपिड प्रोफाइल, यूरिक ऐसिड, क्रिएटिनीन बढना, विटामिन डी, कॅल्षियम्, विटामिन बी 12ए चयापचय की दर 1/4 मैटाबोलिक रेट1/2 इत्यादि रक्त के मानकों के बारे में बता देते हैं।
धारा के विपरीत बहने का अनूठा प्रयासअपने रोगियों के लैबोरेटरी टैस्ट वह बहुत ही कम कराते हैं। अपने रोगियों को अनावश्यक महगे टैस्टों से मुक्ति दिलाने के लिए तथा कमीषन खोरी के मायाजाल से उनको बचाने के लिए डॉ विजयवर्गीय ने प्राचीन आयुर्वेदीय परीक्षण माध्यमों से जाच करने का नायाब अचूक तरीका खोजा है। इस प्रकार डॉ विजयवर्गीय विष्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की लुप्त प्रायः विधाओं को पुनर्जीवित करने का अनूठा प्रयास कर रहे हैं। फ्रॉड, धोखा, विष्वासघात, अनैतिक प्रक्टिस इन दिनों हैल्थ केअर एक बिजनैस का रूप ले चुका है। विविध लेबोरेटरी परीक्षणों के नाम पर इन दिनों लोगों का शोषण हो रहा है और उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आम आदमी की स्थिति गिनी पिग से कम नहीं। कमीषन के लालच को डॉ. विजयवर्गीय ने दूर कर दिया है। एक प्रकार से इन्होंने धारा के विपरीत बहने का अनूठा प्रयास किया है।
सोसायटी के असली हीरो
इन दिनों डॉक्टर्स में ढेर सारे टेस्ट लिखने की प्रवृत्ति घर कर चुकी है। एक दो टैस्ट की जरूरत होती है, लिख देते हैं दस-पंदरह ऐसा वे कमीषन के लिए करते हैं। बहुत सारे लोगों के लिए एक ऑपरेषन करवाना उनकी जिंदगी भर की बचत को खतम कर सकता है। कभी-कभी बच्चों की फीस पर असर होता है, कभी घर गिरवी रखना पड़ता है, कभी जमीन बेचनी पड़ती है। और ऐसे में 30 से 50 प्रतिषत तक का खर्च ऑपरेषन में नहीं अपितु डॉक्टर को मिलने वाले कमीषन में चला जाए तो यह निहायत दुख की बात है। जो लोग दो वक्त की रोटी नहीं कमा सकते, वो ढेर सारे ब्लड टैस्ट कैसे कराएंगे। विष्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ों के अनुसार भारत की 85 प्रतिषत जनसख्या धन के अभाव में जरूरी दवाएं नहीं खरीद पाते हैं, वो लोग अनावश्यक रूप से चल रहे टेस्टिंग को कैसे झेल पाएंगे। डॉ. अनुराग विजयवर्गीय ने पैसे के लिए गलत काम करना स्वीकार नहीं किया। उनके अनुसार आप वही करें जो आपका जमीर कहता है, जो आप अदर से फील करे। जो लोग सोसायटी के लिए काम करना चाहते है, उनके रास्ते खुद-ब-खुद खुलते चले जाते हैं।
इसानियत की खिदमत करना ही सर्वोपरि
डॉक्टर की फीस और जाच आदमी को बरबाद कर देते हैं। इतने अधिक पैसे जांच में लगते है कि आदमी बरबाद हो रहा है। दवाई से ज्यादा गैर जरूरी जांच में आदमी बरबाद हो रहा है। गरीब आदमी तो जांच भर में डी परेष न हो जाता है। दवा तक तो वह पहू च नहीं पाता है। डॉ. अनुराग के द्वारा रोगी परीक्षण हेतु अपनाई गई पारपरिक विधियों में न तो किसी खून, टैस्ट लैबोरेटरी, न ही लैब टैक्नीषियन् न ही इजेक्षन की सुई की जरूरत होती है, अपितु यह सब टामा एवं पेन रहित रहित विधियां हैं। इनमें डॉक्टर के पास जाकर टैस्ट लिखवाने की भी जरूरत नहीं रहती है। डॉ विजयवर्गीय रोगियों की तुरत जाच कर देते हैं। पेषेट के दर्शन मात्र से ही उसका गहराई से रोग निदान 1/4 डायग्नोसिस 1/2 हो जाता है। इस प्रकार डॉ विजयवर्गीय गरीब मरीजों का रोग निदान करके पुण्य कमा रहे हैं।
अत्याधुनिक तकनीक महत्त्वपूर्ण है, किंतु सम्पूर्ण नहीं
अनेक बार ऐसा देख गया है कि रोगी की विविध जाचा म
कुछ नहीं आता है, कहने का अभिप्राय यह है कि सारी जाचे नॉर्मल होने के बावजूद रोगी
अस्वस्थ है और वह कहता है कि मेरे शरीर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, वैद्यजी आप
नब्ज देखकर बीमारी पकड़े। ऐसी अवस्य में आयुर्वेद महर्षियों के द्वारा बताई गई अष्टविध रोगी
परीक्ष विधिया चमत्कारिक सिद्ध होती है। आयुर्वेद के यथ माधव निदान में स्पष्ट शब्दों मेंअष्टविध रोगी परीक्ष विधि के बारे में बताया गया है-रोगाक्रांत शरीरस्य स्थ नान्यष्टी परीक्षेत।
नाड़ी मूत्र नलं जिवा शब्द स्पर्ष दृगाकृति।
अथत रोगी की परीक्ष नाही, मूत्र, मल, जीभ शब्द, स्पर्ष, नेत्रों के आकार को देखकर करें।
इनर पर्सनलिटी का गहन अनुसंध न
डॉ. विजयवर्गीय के अनुसार मन और शरीर एक ही सिक्के के दो पहलू है। मन की विकृति से शरीर में भी रोग पैदा हो जाते हैं। डॉ विजयवर्गीय विविध मनोभ वो के कारण पैदा हुए विविध
रोगों को पहचानने तथ रोगी की इनर पर्सनलिटी का गहन अध्ययन करने में माहिर हैं। जैसे अहकारी व्यक्ति को हाइपो थ यरिडिज्म रोग का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को जिस मनीभ व के कारण रोग पैदा हुआ है, डॉ. विजयवर्गीय उस मनोभ व की जड़ पर कार्य करते हुएरोगी का सफल उपचार आरंभ कर देते हैं। परिणाम यह होता है कि रोग जड़ से समाप्त होने लगता है।
लेखनी में भी है दस डॉ विजयवर्गीय विगत कई दक्षकों से आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। आयुर्वेद को लोकप्रियता के शिखरों पर पहुं पाने में अगलनीय योगदान दे रहे है। विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के प्राटिलतम रहस्या की प्रामाणिक जानकारियां पूर्ण वैज्ञानिक ढंग से, सरल हिंदी में एवं रोचक शैली में मरत की आम जनता तक पहु चाने के चुनौतिपूर्ण कार्य में मिषनारी भ कना से जुड़े हुए है। सहज भ प में रोगों के कारण एवं लक्षण एवं आयुर्वेदीय अपका एवं अनुसूत उपचारी की विस्तार पूर्वक जानकारिया दिन के कार्य में डी विजयवर्गीय की जेखनी को नहारत हासिला है, जिसका प्रमाण इसके द्वारा लिखित अनेकानेक सुपरिक पुस्तक है। डॉ अनुराग के द्वारा लिखित पुस्तकों के माध्यम से आयुर्वेद के अनेकानेक गूढ़ रहस्यों का संयुद्ध हुन सरल एवं सहज हिंदी भ प में हुआ है। आपके द्वारा लिखित पुस्तकें जन-सामान्य बुद्धिजीवियोः स्वस्थ एसा अस्वस्थ लोगों के साथ-साथ आयुर्वेद के प्रति आत्य वान चिकित्सकों के लिए भी संग्रह योग्य एवं निशांत उपयोगी साबित हो रही है।
दो पुस्तकों को राष्ट्रीय पुरस्कार हिंदी भ ष में उत्कृष्ट लेखन कार्य करने के कारण इन्हें भ रत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभ ष-विभ ग के द्वारा राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान हिंदी मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार वर्ष 2010.11 के लिए द्वितीय पुरस्कार महामहिम राष्ट्रपति श्रीप्रणव मुखर्जी महोदय के कर-कमलों से प्राप्त हो चुका है, जो कि इनके द्वारा लिखित पुस्तक जीवन शैली के रोग और आयुर्वेद के लिए प्रदान किया गया।
भारत सरकार के गृहमंत्रालय के राजभाषा विभाग के द्वारा ही इनके द्वारा लिखित पुसाक ‘आयुर्वेद सम्पूर्ण स्वास्थ्य का आधार का वर्ष 2014 के भारत के नागरिकों के लिए हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार की श्रेणी के अंतर्गत प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए चुना गया। यह पुरस्कार दिनांक 14 सितम्बर 2015 को प्लेनरी हाल, विज्ञान-भवन, नई दिल्ली में भारत के महामहिम राष्ट्रपति भारत रत्न श्रीप्रणव मुखर्जी महोदय के कर-कमलों से प्रदान कियागया।
प्रकाषन
प्रकाषित पुस्तकें-
1 ण्जड़ी-बूटी-चिकित्सा-राजस्थान-पत्रिका, जयपुर से प्रकाषित हुई चयनित रचनाओं का संकलन-1998
2 ण्फल-सब्जी-चिकित्सा-पूर्ववत् संकलित-1998
3ण्फलों से स्वास्थ्य सम्वर्धन राजस्थान प्रकाषन, जयपुर 1999
4ण्जीवन-दायिनी हरड पापुलर बुक डिपो, जयपुर-2005
5 ण्आंवला-पॉपुलर बुक डिपो, जयपुर-2004
8 ण्स्वास्थ्य-रक्षक-बहेडा-पापुलर बुक डिपो, जयपुर-2005
7 ण्स्वास्थ्य-सम्बन्धी लोक कहावतें पुस्तक महल, दिल्ली से प्रकाषित-2007
8ण्जीवनषैली के रोग और आयर्वेद 1/4 भारत सरकार गृह मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रीय परस्कार से पुरस्कृत 1/2-प्रकाषक अमृत कल्प आयुर्वेद, अलवर, राजस्थान
9 आयुर्वेद सम्पूर्ण स्वास्थ्य का आधार 1/4 भारत सरकार, गृह मंत्रालय के द्वारा राष्टीय पुरस्कार से
पुरस्कृत 1/2-प्रकाषक-अमृत कल्प आयुर्वेद, अलवर, राजस्थान
10 ण्स्वास्थ्यवर्धक पेय-प्रकाषक-अमृत कल्प आयुर्वेद, अलवर राजस्थान
11 ण्सर्जरी से पहले आयुर्वेद आजमाएं-प्रकाषक-अमृत कल्प आयुर्वेद, अलवर, राजस्थान
12 आयुर्वेद पुरुषों के लिए-प्रकाषक-अमृत कल्प आयुर्वेद, अलवर, राजस्थान
13 महिलाओ के लिए आयुर्वेद प्रकाषक-अमृत कल्प आयुर्वेद, अलवर, राजस्थान
14 आयुर्वेद अपनाएं, कैंसर भगाएं
15 बच्चों के लिए आयुर्वेद प्रकाषित आलेख
धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, अणुव्रत, हैल्थ और न्यूटीषन, आयुर्वेद-विकास डाबर
साधना-पथ, मातृ-वन्दना, षिमला, नवनीत मुम्बई, जनपक्ष मेल षिमला, निरोग सुख जयपुर राजस्थान-पत्रिका-जयपुर एवं अहमदाबाद संस्करण, इतवारी पत्रिका जयपुर नवभारत टाइम्स नई दिल्ली, राष्टीय-सहारा नई दिल्ली, जनसत्ता, दैनिक जागरण नई दिल्ली, धर्मषाला, दैनिक नवज्योति जयपुर दैनिक भास्कर 1/4 चंडीगढ, भोपाल, षिमला, जयपुर 1/2 पंजाब केसरी, योग-सन्दठे स्वामी रामदेव द्वारा प्रकाषित, दैनिक हिन्दुस्तान, गिरिराज बिमला, इत्यादि पत्र-पत्रिकाओं में हजारों स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद सम्बन्धी आलेख प्रकाषित ।
प्रसारण-दूरदर्षन षिमला एवं आकाषवाणी षिमला, आकाषवाणी अलवर एवं राजकोट से सौ से भी अधिक आयुर्वीद सम्बंधी विषेषज्ञ वार्ताएं प्रसारित
राज्य स्तरीय पुरस्कार
1/411/2 भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचलप्रदेष के द्वारा डॉ अनुराग विजयवर्गीय को सन 2015 का
राज्या-स्तरीश राजभाषा पुरस्कार मरखामंत्री महोदय हिमाचल प्रदेष के कर कमलों से प्रदानकिया गया।
1/421/2 भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेष के द्वारा डॉ. अनुराग विजयवर्गीय को सन 2017 का राज्य-स्तरीय राजभाषा पुरस्कार महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत के कर कमलों से बिमला के गेयटी थियेटर में प्रदान किया गया।
अन्यान्य पुरस्कार
हिमाचल प्रदेष के नम्बर एक अखबार ‘अमर उजाला की ओर से दिनांक 19 मार्च 2016 के दिन ‘प्राइड ऑफ हिमाचल अवार्ड, जो हिमाचलप्रदेष के तत्कालीन स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री के कर-कमलों से प्राप्तहुआ।
सम्प्रति-हिमाचल प्रदेष सचिवालय में सेवारत,विष्व प्रसिद्धगुजरात आयुर्वेद विष्वविद्यालय, जामनगर से एम.डी. उपाधि धारक