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सरकार नवोन्मेषी पहलों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं का कर रही आधुनिकीकरण

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में व्यवस्था परिवर्तन का नया अध्याय लिखा जा रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, कृषि, बागबानी जैसे सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। स्वास्थ्य और शिक्षा को एक प्रगतिशील समाज का आधार मानते हुए राज्य सरकार ने चिकित्सा के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और विस्तार को प्राथमिकता दी है।
मुख्यमंत्री ने हाल ही में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, टांडा और इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, शिमला और अटल सुपर स्पेशलिटीज आयुर्विज्ञान संस्थान चमियाणा (एआईएमएसएस) के डॉक्टरों और अन्य संकाय सदस्यों के साथ गहन चर्चा की। उन्होंने कर्मचारियों की आवश्यकताओं की समीक्षा की और स्वास्थ्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और उपकरणों के बारे में चर्चा की।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में पहली बार रोबोटिक सर्जरी आरम्भ की जा रही है। रोबोटिक सर्जरी के लिए मशीन अटल सुपर स्पेशलिटीज आयुर्विज्ञान संस्थान चमियाणा शिमला में स्थापित हो चुकी हैं और सरकार जल्द ही मशीनों के सुचारू संचालन के लिए विशेषज्ञ रोबोटिक सर्जनों की भर्ती करेगी।
प्रवक्ता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज, आदर्श स्वास्थ्य संस्थान और अन्य चिकित्सा संस्थान जल्द ही आधुनिक चिकित्सा उपकरणों और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे से लैस होंगे। सरकार सीटी स्कैन, एक्स-रे यूनिट, अल्ट्रासाउंड मशीन, फेको सिस्टम और अन्य नैदानिक उपकरणों सहित अत्याधुनिक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित कर स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम के तहत, सरकार ने दो दशकों से अधिक समय से इस्तेमाल हो रहे पुराने स्वास्थ्य उपकरणों को बदलने का भी फैसला किया है, जिनमें पुरानी एमआरआई और एक्स-रे मशीनें आदि शामिल हैं। पिछले 18-20 वर्षों से इस्तेमाल हो रहे उपकरणों को भारत के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों, जैसे एम्स, दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़, द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे उपकरणों के समान अत्याधुनिक मशीनों से बदला जाएगा।
इन उपकरणों की खरीद प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए सरकार ने पर्याप्त बजट प्रावधान किए हैं। प्रवक्ता ने कहा, सरकार 3 टेस्ला एमआरआई मशीनें क्रय कर रही है जो दिल्ली के एम्स में इस्तेमाल की जा रही मशीनों के समान हैं। अस्पताल में स्थापित एमआरआई मशीने लगभग दो दशक पुरानी है जबकि थ्री टेस्ला एमआरआई मशीनों के परिणाम त्वरित और बेहतर रेजोल्यूशन और इमेज गुणवत्ता के हैं।
सरकार का उद्देश्य राज्य के लोगों, खासकर दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, जिनकी लंबे समय से निदान और उपचार सुविधाओं तक सीमित पहुंच है, समय पर और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करवाना है।
इससे पूर्व, पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधओं के बुनियादी ढांचे में कमी के कारण, मरीजों को  बेहतर निदान और उपचार विकल्पों की तलाश में पड़ोसी राज्यों का रुख करना पड़ता था। इस समस्या के समाधान के लिए वर्तमान सरकार ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे में सुधार करने आरम्भ किए हैं बल्कि चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी दूर करने के लिए भी सक्रिय कदम उठाए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि उपकरणों के उन्नयन के अलावा, राज्य सरकार ने विशेषज्ञ डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्तियां की हैं। सरकार के भर्ती प्रयासों के परिणामस्वरूप 185 से अधिक चिकित्सा अधिकारियों, 130 स्टाफ नर्सों, 67 लैब तकनीशियनों, 45 फार्मासिस्ट अधिकारियों की नियुक्ति की गई है और विभिन्न स्वास्थ्य सेवा श्रेणियों में 491 नए पद सृजित किए गए हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के लिए 1,730 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इससे स्वास्थ्य सेवा तंत्र मजबूत होगा और यह सुनिश्चित होगा कि नई मशीनें और तकनीक से आमजन लाभान्वित हों।
सरकार ने बीएससी मेडिकल लैबोरेटरी, रेडियोलॉजी एवं इमेजिंग तथा एनेस्थीसिया एवं ओटी तकनीक में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए आईजीएमसी शिमला में सीटों की संख्या 10 से बढ़ाकर 50 कर दी है तथा मेडिकल कॉलेज टांडा में सीटों की संख्या 18 से बढ़ाकर 50 कर दी हैं, जिससे हिमाचली युवाओं को राज्य में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त करने के अधिक अवसर सुनिश्चित होंगे।
सरकार ने आईजीएमसी शिमला, टांडा मेडिकल कॉलेज और एआईएमएसएस चमियाणा में स्वचालित प्रयोगशालाएं स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। प्रवक्ता ने कहा, सरकार द्वारा प्रत्येक संस्थान के लिए 25-25 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
वंचितों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए सरकार ने हिमकेयर योजना को और सुदृढ़ किया है। योजना के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश में अब तक 5.80 लाख से ज्यादा लोग लाभान्वित हुए हैं जिनके मुफ़्त इलाज पर सरकार लगभग 810 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। यह योजना उन लोगों की सहायता पर केंद्रित है जिनके पास संसाधनों की कमी है, जिनमें आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग, अनाथ, एकल महिलाएं, विधवाएं, बच्चे और कई अन्य वर्ग शामिल हैं। इस योजना में सरकारी कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाभ वास्तव में पात्र लोगों तक पहुंचे। इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए, हिमकेयर कार्ड अब तिमाही आधार पर मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर में जारी किए जाएंगे। हालांकि, समय पर स्वास्थ्य सेवा के महत्व को समझते हुए, सरकार ने मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों और चिकित्सा अधीक्षकों को वित्तीय स्थिति, बीमारी की गंभीरता या अन्य जायज कारणों के आधार पर, विशेष मामलों में किसी भी समय कार्ड जारी करने के लिए अधिकृत किया है। प्रत्येक कार्ड एक वर्ष के लिए वैध रहता है। समय पर नवीनीकरण की सुविधा और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आवेदन पोर्टल तिमाही आधार पर एक महीने के लिए खुलेगा। इसका उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर लोगों के लिए चिकित्सा देखभाल तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है तथा योजना में लाभार्थियों का समय पर पंजीकरण और नवीनीकरण करना है।
सरकार का लक्ष्य बिना किसी वित्तीय कठिनाई के गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक प्रत्येक नागरिक की पहुंच सुनिश्चित करना है। इन नवीन पहलों के साथ, हिमाचल प्रदेश एक मजबूत और आधुनिक स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है जो आत्मनिर्भर, सुलभ और रोगी-केंद्रित हो। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य सेवा उत्कृष्टता में एक आदर्श राज्य और स्वास्थ्य पर्यटन के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बनने की ओर अग्रसर है।

By HIMSHIKHA NEWS

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