पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा केंद्र सरकार के पेंशन भोगियों के लिए ऊना में आयोजित जागरूकता शिविर में 250 से अधिक पेंशन धारकों को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के बारे में जागरूक किया। विभाग की टीम ने 90 वर्ष से अधिक आयु के वृद्धों के घर जाकर उन्हें जानकारी दी। मुख्य शिविर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ऊना की मुख्य शाखा में आयोजित किया गया। इस शिविर में बड़ी संख्या में पेंशनरों को जागरूक किया गया। ऊना मुख्य शाखा में 150 से अधिक पेंशन धारक शामिल हुए। इसके अलावा अन्य नजदीकी बैंक शाखाओं में भी सुबह 10 बजे से ही डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र बनाने और अपलोड करने संबंधी जानकारियों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया।
जागरूकता शिविर में जानकारी देते हुए पेंशनभोगी कल्याण विभाग भारत सरकार के अवर सचिव सुभाष चंद्र ने कहा कि 1 से 30 नवंबर तक राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) अभियान 4.0 आयोजित कर रहा है। डीएलसी अभियान 4.0 में देशभर के 2,000 से अधिक शहरों और कस्बों को कवर किया जा रहा है ताकि पेंशनभोगियों को कई डिजिटल तरीकों के माध्यम से अपने जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में शुरू की गई आधार-आधारित फेस ऑथेन्टिकेशन तकनीक के उपयोग को विभाग और अधिक बढ़ावा दे रहा है, जिससे पेंशनभोगी स्मार्टफोन का उपयोग करके अपने घर बैठे आसानी से जीवन प्रमाणपत्र जमा कर सकें। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (डाक विभाग) द्वारा अति वरिष्ठ और दिव्यांग पेंशन भोगियों को डोरस्टेप डीएलसी सेवाएं प्रदान की जा रही है। जबकि बैंकों, पेंशनभोगी संघों और क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा जागरूकता शिविर आयोजित कर ऑन-साइट सहायता प्रदान की जा रही है।
वर्ष 2024 में आयोजित डीएलसी 3.0 में 1.62 करोड़ से भी अधिक डीएलसी बनाए गए, जिनमें से 50 लाख फेस ऑथेंटिकेशन द्वारा बनाए गए। इस वर्ष 2 करोड़ डीएलसी का लक्ष्य रखा गया है और डीएलसी अभियान 4.0 की प्रारंभिक रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि बैंकों, आईपीपीबी, यूआईडीएआई, मेटी, सीजीडीए, रेलवे और पेंशनभोगी कल्याण संघों के संयुक्त प्रयासों से इस वर्ष के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।
एनआईसी डीएलसी पोर्टल के माध्यम से दैनिक प्रगति को ट्रैक किया गया, जिससे बैंकों और विभागों द्वारा जनरेशन आंकड़ों की रियल-टाइम निगरानी की जा सकी।
ऊना में डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र बनाने को लेकर आयोजित शिविर में बड़ी संख्या में पेंशन भोगियों ने लिया भाग
पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा केंद्र सरकार के पेंशन भोगियों के लिए ऊना में आयोजित जागरूकता शिविर में 250 से अधिक पेंशन धारकों को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के बारे में जागरूक किया। विभाग की टीम ने 90 वर्ष से अधिक आयु के वृद्धों के घर जाकर उन्हें जानकारी दी। मुख्य शिविर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ऊना की मुख्य शाखा में आयोजित किया गया। इस शिविर में बड़ी संख्या में पेंशनरों को जागरूक किया गया। ऊना मुख्य शाखा में 150 से अधिक पेंशन धारक शामिल हुए। इसके अलावा अन्य नजदीकी बैंक शाखाओं में भी सुबह 10 बजे से ही डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र बनाने और अपलोड करने संबंधी जानकारियों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया।
जागरूकता शिविर में जानकारी देते हुए पेंशनभोगी कल्याण विभाग भारत सरकार के अवर सचिव सुभाष चंद्र ने कहा कि 1 से 30 नवंबर तक राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) अभियान 4.0 आयोजित कर रहा है। डीएलसी अभियान 4.0 में देशभर के 2,000 से अधिक शहरों और कस्बों को कवर किया जा रहा है ताकि पेंशनभोगियों को कई डिजिटल तरीकों के माध्यम से अपने जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में शुरू की गई आधार-आधारित फेस ऑथेन्टिकेशन तकनीक के उपयोग को विभाग और अधिक बढ़ावा दे रहा है, जिससे पेंशनभोगी स्मार्टफोन का उपयोग करके अपने घर बैठे आसानी से जीवन प्रमाणपत्र जमा कर सकें। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (डाक विभाग) द्वारा अति वरिष्ठ और दिव्यांग पेंशन भोगियों को डोरस्टेप डीएलसी सेवाएं प्रदान की जा रही है। जबकि बैंकों, पेंशनभोगी संघों और क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा जागरूकता शिविर आयोजित कर ऑन-साइट सहायता प्रदान की जा रही है।
वर्ष 2024 में आयोजित डीएलसी 3.0 में 1.62 करोड़ से भी अधिक डीएलसी बनाए गए, जिनमें से 50 लाख फेस ऑथेंटिकेशन द्वारा बनाए गए। इस वर्ष 2 करोड़ डीएलसी का लक्ष्य रखा गया है और डीएलसी अभियान 4.0 की प्रारंभिक रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि बैंकों, आईपीपीबी, यूआईडीएआई, मेटी, सीजीडीए, रेलवे और पेंशनभोगी कल्याण संघों के संयुक्त प्रयासों से इस वर्ष के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।
एनआईसी डीएलसी पोर्टल के माध्यम से दैनिक प्रगति को ट्रैक किया गया, जिससे बैंकों और विभागों द्वारा जनरेशन आंकड़ों की रियल-टाइम निगरानी की जा सकी।