नीति निर्माण के लिए सटीक एवं समेकित डेटा नितांत अनिवार्यः डॉ. अभिषेक जैन
केलांग में अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा कार्यशाला आयोजित
राज्य की सांख्यिकीय गतिविधियों में समन्वय, पारदर्शिता एवं दक्षता को सुदृढ़ बनाने के दृष्टिगत आज लाहौल-स्पीति जिले के केलांग में सचिव वित्त, अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी तथा योजना डॉ. अभिषेक जैन की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।
इस अवसर पर डॉ. अभिषेक जैन ने कहा कि सटीक एवं समेकित डेटा नीति निर्माण की रीढ़ है और सरकार की योजनाओं एवं कार्यक्रमों की सफलता डेटा की विश्वसनीयता, समयबद्धता तथा पारदर्शिता पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि सांख्यिकीय आंकड़े और डेटा यह दर्शाते हैं कि लाहौल-स्पीति जिला विकास के विभिन्न संकेतकों में कहां स्थित है और ये जिले की सामाजिक-आर्थिक स्थिति तथा सकल घरेलू उत्पाद की स्थिति को भी प्रतिबिंबित करते हैं।
उन्होंने सभी विभागों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन करें ताकि विकास के रुझानों को समझकर योजनाओं और क्रियान्वयन के स्तर पर सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सुधारों और नीति निर्धारण में डेटा का वैज्ञानिक उपयोग किया जाना चाहिए ताकि विकास के लक्ष्यों को प्रभावी तरीके से पूरा किया जा सके।
उन्होंने जिला लाहौल-स्पीति को पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व व पर्यावरण संरक्षण में श्रेष्ठ प्रदर्शन तथा अपराध मुक्त होने पर बधाई दी तथा इसमें निरंतर प्रयास करते रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ई-ऑफिस तथा आधार नवीनीकरण में सुधार करने के निर्देश भी दिए।
डॉ. जैन ने कहा कि प्रत्येक विभाग प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान दे और इसके लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन सुनिश्चित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विकास के प्रमुख आंकड़े संतोषजनक बने रहें, इसके लिए प्रत्येक विभाग को ठोस कदम उठाने चाहिए और जहां कमी हो, वहां सुधार किया जाना अनिवार्य है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों, कृषि, बागवानी और हस्तशिल्प क्षेत्रों के रुझानों को बेहतर समझने तथा सुधारने पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि प्रवासन, बागवानी, कृषि उत्पादन और हस्तशिल्प जैसे विषयों पर अनुसंधान के लिए छोटे शोध समूह बनाए जाएं और स्थानीय उत्पादों के विपणन एवं ब्रांडिंग को बढ़ावा दिया जाए।
डॉ. अभिषेक जैन ने कहा कि कार्यशालाएं केवल सैद्धांतिक ज्ञान का मंच नहीं होतीं बल्कि सीखने, विचार-विनिमय और नीतिगत दिशा तय करने का प्रभावी माध्यम भी होती हैं।
उपायुक्त लाहौल-स्पीति किरण भड़ाना ने कहा कि डेटा आधारित निर्णय प्रणाली प्रशासनिक उत्तरदायित्व को बढ़ाकर बेहतर परिणाम सुनिश्चित करती है और इस प्रकार की कार्यशालाएं स्थानीय स्तर पर डेटा को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होती हैं। आर्थिक सलाहकार डॉ. विनोद राणा ने कहा कि डेटा की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुशासन का मूल आधार है।
कार्यशाला के तकनीकी सत्र में आवश्यक डेटा आवश्यकताओं पर प्रस्तुतियां दी गईं। सत्र के उपरांत प्रतिभागियों के लिए एक रोचक क्विज भी आयोजित की गई जिसने ज्ञान वृद्धि के साथ प्रतिस्पर्धात्मक उत्साह को भी प्रोत्साहित किया।
कार्यशाला में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, सांख्यिकी विशेषज्ञों एवं प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।
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