शिमला,हिमशिखा न्यूज़
हिमाचल प्रदेश में हाल के दिनों में हुए भूस्खलनों के चलते प्रदेश में कई जाने गई और साथ ही करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ। ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या जानमाल के इस नुकसान को कम किया जा सकता था? ये सवाल आम प्रदेश आम आदमी पार्टी ने एक बयान जारी करते हुए पूछा है।पार्टी ने अपने बयान में कहा की प्रदेश की सरकारे अगर समय रहते सचेत हो गई होती तो शायद एक स्थिति बन सकती थी जहां नुकसान कम होता और कई जाने बच जाती।पार्टी ने आगे कहा है कि ऐसा कहने की वजह है साल 2015 कि वो सेफ्टी प्रोटोकॉल रिपोर्ट जिसे कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने ठंडे बस्ते में डाल दिया।साल 2015 की सेफ्टी प्रोटोकॉल रिपोर्ट , में बताया गया था कैसे इंजीनियरिंग में कुछ बदलाव करके सड़क निर्माण, विद्युत परियोजना और बाकी विकास कार्यों का सुरक्षित बनाया जा सकता है और ऐसे हादसों से बचा जा सकता है।उस रिपोर्ट में प्रदेश की खतरनाक सड़को की पहचान भी की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 1628 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग मे से 993 किलोमीटर लंबे मार्ग को संवेदनशील की श्रेणी में डाला गया था। जब कि प्रदेश की अपनी सड़को की स्थिति पर भी सवालिया निशान लगे थे। सूबे के लगभग 2178 किलोमीटर लम्बी सड़को में से 1111 किलोमीटर की सड़कों को संवेदनशील बताया गया था।आम आदमी पार्टी भाजपा और कांग्रेस दोनों से यह पूछना चाहती है कि उनकी सरकारों ने 2015 की इस रिपोर्ट में दिए गए कितने सुझावों पर अमल किया है और अगर ऐसा नही किया गया तो उसकी क्या वजह है?आम आदमी पार्टी का मानना है की ये हादसे बहुत हद तक लचर सरकारी व्यवस्था की देन है।आम आदमी पार्टी सरकार से ये मांग करती है कि भूस्खलन से हुए इस नुकसान के चलते पीड़ितों को 10-10लाख रुपए की सहायता दी जाए और भविष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार उपरोक्त रिपोर्ट में दिए गए सुझावों पर ठोस कदम उठाए।