शिमला,हिमशिखा न्यूज़ 05/07/2022
जन परामर्श के नाम पर फर्जीवाड़ा बंद करो।
ग्रीन एनर्जी धोखा है। Kinnaur is not for sell No More Dirty Hydro. WB stop funding Greenwashing
ऊर्जा निदेशालय की ओर से आयोजित जन परामर्श नहीं बल्कि एक घटिया मजाक है। जन परामर्श में स्थानीय लोगों का ही कोई परामर्श नहीं है। यदि विश्व बैंक शिमला में बैठ कर 200 मिलियन डॉलर का सहयोग सामाजिक पर्यावरणीय रूपरेखा को मजबूत करना चाहता है तो हमें यह मंजूर नहीं है। शिस में जन परामर्श का आयोजन करना महज एक ढोंग है।
हम जनजातीय व सीमांत जिला किन्नौर से इधर राज्य की राजधानी में इसीलिए आये है क्योंकि यह प्रक्रिया हमारे भविष्य को प्रभावित करने वाली है। पिछले वर्ष निगुलसेरी में 28 लोगों की लैंडस्लाइड के कारण मौत हुई. दुःख की बात यह है कि जिस इलाके में यह घटना हुई वह विश्व बैंक समर्थित नाथपा झाकड़ी परियोजना का प्रभावित इलाका है। हम पहले से ही हरित ऊर्जा के नाम पर अत्यधिक नुकसानों को झेल रहे हैं। पूरे हिमाचल में सबसे ज्यादा बिजली (3000 मेगावाट से ज्यादा) हमारे किन्नौर में पैदा हो रही है। सतलुज नदी जोकि हम जनजातीय समुदाय के लिए पूजनीय है इसे टनलों में कैद कर दिया है। जनजातीय जिला होने व अनुसूची क्षेत्र होने के नाते देश के संविधान ने हमें विशेष अधिकार प्रदान किये हैं। जैसे वन अधिकार कानून, पैसा कानून लेकिन इन कानूनों व हमारे संवैधानिक अधिकारों कि खुरआम अनदेखी हो रही है। ग्राम सभा के प्रस्तावों को नजरअंदाज कर दिया जा रहा है। पूरे किन्नौर ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर हरित ऊर्जा के नाम पर बन रही जल विद्युत परियोजनाओं को नकार दिया है। लेकिन फिर भी राज्य सरकार अनदेखी कर के परियोजनाओं को लगाने में जोर दे रही हैं। हाल ही में खुद ऊर्जा निदेशालय ने 26 जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिये टेंडर जारी किए इसमें से 7 परियोजना हमारे इलाके में ही प्रस्तावित हैं। हमारी सुनवाई ना प्रशासन कर रहा है ना शासन कर रहा है। यदि विश्व बैंक 200 मिलियन डॉलर का वाक्य में सदुपयोग करना चाहता है तो जन परामर्श पूरे हिमाचल में जमीनी स्तर पर करें।