दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा क्योंथल बैंकट हॉल खलीनी शिमला में सात दिवसीय श्री राम कथा का भव्य आयोजन किया गया है। कथा के प्रथम दिवस का शुभारम्भ विधिवत् पूजन से हुआ जिसमें नीरज शर्मा ने परिवार सहित हिस्सा लिया। कथा में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी रूपेश्वरी भारती जी ने कहा कि प्रभु श्री राम का चरित्र विश्व संस्कृति में एक उज्जवल एवं सर्वत्र परिव्याप्त वर्णातीत सत तत्व है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता में राम कथा का वशिष्ट स्थान है। राम जी के बिना भारतीयता का अस्तित्व एवं उसकी पहचान भी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का आधार प्रभु श्री राम है लेकिन उन्हें हम अपनी बुद्धि के द्वारा कभी समझ ही नहीं सकते। शास्त्र कहते है “राम अतर्क्य बुद्धि मन वाणी” बुद्धि की एक सीमा होती है और सीमित बुद्धि से असीम को पाया नहीं जा सकता। जहां बुद्धि की सीमा समाप्त होती है वहीं से ज्ञान का प्रारम्भ होता है। उन्होंने माता सती के प्रसंग के माध्यम से समझाया कि सती बुद्धि से इन्द्रियों से राम जी की लीला और उनके रहस्य को समझना चाहती थी पर नाकामयाब हुई। ठीक इसी प्रकार मन बुद्धि से हम अध्यात्म को समझ नहीं सकते क्योंकि अध्यात्म का अर्थ होता है आत्मा का अध्ययन आत्मानुभूति। जो केवल एक गुरु की कृपा से ही हम कर सकते है। मात्र एक पूर्ण गुरु ही हमें संशयों से निकाल कर अध्यात्म की डगर पर ले चलते हैं। कथा में संत समाज द्वारा सुमधुर भजनों एवं चौपाइयों का गायन भी किया गया। कथा में होमगार्ड कमांडेंट आर.पी.नेप्टा,विभूती डडवाल और सैक्टर 4 वेलफेयर सोसायटी की अध्यक्षा अंजना भंडारी विशेष रूप से शामिल हुए।कथा का समापन मंगल आरती से किया गया। कथा के बाद सारी संगत के लिए भंडारे का प्रबन्ध भी किया गया।