सब्जी ही नहीं अपितु औषधीय गुणों की खान है लिंगुड़
शिमला 13 अगस्त । ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों लोग लिगुडा़ की सब्जी का लुत्फ उठा रहे हैं । सबसे अहम बात है कि लिंगुड़ को उगाया नहीं जाता बल्कि यह बूटी विशेषकर नमी वाले क्षेत्रो, जंगलों अथवा खडडों के किनारे स्वतः की उगती है । लिगुड़ पूर्ण रूप से प्राकृतिक एवं जैविक है जोकि पौष्टिक होने के साथ साथ औषधीय गुणों से भरपूर है । वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने इसे अपनी अतिरिक्त आय का साधन भी बना दिया है । लोग सारा दिन जंगल अथवा खडडों से लिंगुड़ को चुनकर लाते हैं और गुच्छियां बनाकर बाजार में बेचने लगे हैं । पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली इस सब्जी को यहां के लोग दशकों से खाते आ रहे हैं। लिंगुड़ा जहां रसायनों से दूर प्रकृति के आगोश में स्वतः ही पैदा होता है। सब्जी विक्रेता सुरेश कुमार ने बताया कि लिंगुड़ की आजकल लोगों में काफी डिमांड है । जैसे ही गांव से कोई व्यक्ति लिंगुड़ की सब्जी बेचने आते हैं लिंगुड़ हाथों हाथ बिक जाता है ।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डाॅ0 जोशी ने बताया कि लिंगुड़ में विटामिन ए, विटामिन बी कॉप्लेक्स, पोटाशियम, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, कैरोटिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। काफी कम लोग जानते हैं कि यह सब्जी कई औषधीय गुणों से भी भरपूर है। बता दें कि हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर में कुछ साल पहले शुरू हुए लुंगड़ू अथवा लिंगुड़ के प्रारंभिक शोधों में यह बात सामने आई है। इसकी चर्चा बाकायदा संस्थान की राष्ट्रीय संगोष्ठी में भी हुई। लिगुड़ मंे आयरन व मैगनिशयम प्रचुर मात्रा में पाए जाने से इसे कुपोषण से निपटने का एक अच्छा स्रोत माना गया है।
लिंगुड़ की सब्जी पहाड़ों में जून से सितंबर माह तक पाई जाती है। आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार लुंगडू अथवा लिंगुड़ चर्म व मधुमेह रोग से काफी बचाव करता है। इससे त्वचा अच्छी रहती है। लिंगुड़ हार्ट आदि के मरीजों के लिए भी अच्छा माना जाता है। सबसे अहम बात है कि लिंगुड़ पूरी तरह से प्राकृतिक है। लिंगुड़़ू में मधुमेह सहित अनेक बीमारियों से लडने की शक्ति विद्यमान है।
डाॅ0 जोशी ने बताया कि हिमालय की पर्वतश्रृंखलाओं में लुंगडू की असंख्य प्रजातियों का पता लगाया गया है। इन में हुए प्रारंभिक शोध से पता चला है कि लिंगुड़ औषधीय गुणों खान है जोकि विशेषकर मधुमेह और कुपोषण से बचाव करती है। लिंगुड़ हिमाचल के अलावा उत्तराखंड में भी लिंगडा के नाम से जाना जाता है। अतीत में लिगुड़ और पानी में उगने वाली छूछ ग्रामीणों की प्रमुख सब्जी हुआ करती थी परंतु वर्तमान में युवापीढ़ी प्राकृति के आगोश में उगने वाली सब्जियों को पसंद नहीं करते हैं जबकि प्राकृतिक सब्जियों से अनेक रोगों से निजात मिलती है ।
