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शिमला ,हिमशिखा न्यूज़ 

हिंदू धर्म में पूजा पाठ का एक विशेष महत्व है और भगवान की आरती के बाद हर किसी को पंचामृत दिया जाता है। पंचामृत को हिंदू धर्म में अमृत कहते हैं। माना जाता है कि इसके सेवन से सभी तरह की बुरी एनर्जी और सभी बीमारी खत्म हो जाती है। वहीं अगर पूर्वजों की मानें तो हिंदू धर्म में गंगाजल और पंचामृत को विशेष स्थान दिया गया है। इसके सेवन से आकाल मृत्यु दूर हो जाती है। आइए जानते हैं इसके कुछ फायदें और इसे बनाने की विधि…

पंचामृत में ध्यान रखने योग्य बातें
– पंचामृत जिस दिन बनाएं उसी दिन खत्म कर दें। अगले दिन के लिए न रखें।
– पंचामृत हमेशा दाएं हाथ से ग्रहण करें। इस दौरान अपना बायां हाथ दाएं हाथ के नीचे रखें।
– पंचामृत ग्रहण करने से पहले उसे सिर से लगाएं फिर ग्रहण करें फिर हाथों को सिर पर न लगाएं।
– अगर तुलसी के पत्ते और गंगाजल किसी कारणवश नहीं हैं तो आप पंचामृत उसके बिना भी बना सकते हैं, तुलसी के पत्ते पवित्र होते हैं इसलिए इनका इस्तेमाल किया जाता है।
– पंचामृत हमेशा तांबे के पात्र से देना चाहिए। तांबे में रखा पंचामृत इतना शुद्ध हो जाता है कि अनेकों बीमारियों को हर सकता है। इसमें मिले तुलसी के पत्ते इसकी गुणवत्ता को और बढ़ा देते हैं। ऐसा पंचामृत ग्रहण करने से बुद्धि, स्मरण शक्ति बढ़ती है।
– पंचामृत का सेवन करने से शरीर रोगमुक्त रहता है।
– तुलसी के रस से कई रोग दूर हो जाते हैं और इसका जल मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है।
– पंचामृत अमृततुल्य है। इसका नियमित सेवन शरीर को रोगमुक्त रखता है। तुलसी के पत्ते गुणकारी सर्वरोगनाशक हैं। यह संसार की एक सर्वोत्तम औषधि है।

पंचामृत बनाने की विधि
– पंचामृत बनाना बहुत ही सरल है, नीचे दी गई सामग्री का उपयोग कर आप भी आसानी से पंचामृत बना सकते हैं :
– दूध- 1 कि.ग्रा
– दही- 2 छोटे चम्मच
– चीनी- स्वादानुसार
– शहद- 1/2 छोटा चम्मच
– तुलसी के 8-10 पत्ते
– गंगाजल- 1 छोटा चम्मच
– मेवा-मखाने, चिरौंजी, किशमिश

कैसे बनता है पंचामृत
एक डोंगे में दही डालकर उसे अच्छे से मिला लें। अब बाकी बची सामग्री को इसमें अच्छे से मिला लें। दूध मिलाने से पहले दही को ऐसे फैंट लें कि उसमें दूध आसानी से मिल जाए।

लाभ
पंचामृत में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होने के कारण हड्डियां मजबूत बनती हैं।
– पंचामृत का पान दिमाग को शांत और गुस्से को कम करता है।
– पंचामृत से आप हाजमा औैर भूख न लगने की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं।
– आयुर्वेद के अनुसार पंचामृत शीतल, पौष्टिक और कफनाशक भी है।
– पंचामृत में तुलसी के पत्ते डालने से इसकी रोगनाशक क्षमता और बढ़ जाती है।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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