Spread the love

सर्दियों में बिच्छू बूटी का साग स्वास्थ्य के लिए रामबाण  
शिमला 07 जनवरी   । क्योंथल के ग्रामीण  क्षेत्रों  में विशेषकर सर्दियों के दिनों में बिच्छू बूटी अर्थात भाभर का साग बड़े शौक के साथ खाया जाता है । सर्दियों में भाभर के साग खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे किसी बिमारी लगने का भय नहीं रहता है । बिच्छू बूटी का साग बहुत ही स्वादिष्ट होने के साथ साथ इसकी ताहसीर गर्म होती है जिससे शरीर में ठंड का प्रकोप कम होता है ।
बता दें कि बिच्छू बूटी के साग पहाड़ी व्यंजनों में से एक है और इसके साग का  जायका और स्वाद अनूठा होता है । बिच्छू बूटी को जहां ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे बच्चों को डराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है वहीं पर भाभर में विटामिन सी और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा मंे पाए जाते  है ं। सबसे अहम बात यह है कि बिच्छू बूटी को उगाया नहीं जाता बल्कि स्वतः ही यह बूटी खेत खलिहान और बंजर भूमि पर उगी होती है। ज्योतिषविदों का मानना है शनि की दशा में बिच्छू बूटी की जड़ को विशेष मूहूर्त में पहनने से शनि का प्रकोप कम हो जाता है और व्यक्ति को नीलम इत्यादि को पहनने की आवश्यकता नहीं होती है ।
पीरन गांव के  वरिष्ठ नागरिक दयाराम वर्मा  का कहना है कि सर्दियों में उनके घर पर अतीत से  बिच्छू बूटी का साग प्रायः बनाया जाता है क्योंकि सर्दियों में मक्की की रोटी के साथ बहुत ही स्वादिष्ट लगता है और इसके उपयोग से शरीर में ठंड भी नहीं लगती है । उन्होने बताया कि अतीत में सर्दियों के दौरान जब कोई सब्जी उगी नहीं होती थी तो भाभर का साग ही एक मात्र विकल्प हुआ करता था ।
  आयुर्वेद चिकित्सक डाॅ0 विश्वबंधु जोशी ने  बताया कि बिच्छू  बूटी का वैज्ञानिक नाम अर्टिका डाइओका है। इसकी सबसे अधिक खेती अफ्रीका, यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में की जाती है। उन्होने बताया कि बिच्छू बूटी में विटामिन सी और लौह की उच्च मात्रा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है जोकि लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को उत्तेजित करने के लिए बहुत ही लाभदायक होती  बताया कि बिच्छू बूटी से बनी चाय का नियमित रूप से सेवन लोअर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है।  
भले की आधनिकता की चकाचैंध में मनुष्य के रहन सहन में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है परंतु पारंपरिक वेष भूषा, मेले और त्यौहार तथा पहाड़ी  व्यजंनों  का बदलते परिवेश में  बहुत महत्व  है जिससे प्रदेश की समृद्ध संस्कृति के सरंक्षण एवं संवर्धन को बल मिलता है ।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *