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शिमला,हिमशिखा न्यूज़ 

मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाकामी व उसके निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल दोबारा से मनमानी पर उतर आए हैं। ये स्कूल वर्ष 2021 में दोबारा से सीधी लूट पर उतर आए हैं। इन स्कूलों ने इस वर्ष टयूशन फीस में अभिभावकों के साथ बिना किसी बैठक के टयूशन फीस में पन्द्रह से पैंसठ प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है। निजी स्कूलों ने कम्प्यूटर फीस में सौ प्रतिशत तक की वृद्धि करके उसे दोगुना कर दिया है। इस तरह ये स्कूल कोरोना काल में भी पूर्ण मनमानी कर रहे हैं। जो अभिभावक निजी स्कूलों की लूट का विरोध कर रहे हैं,उन्हें व उनके बच्चों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। आईवी स्कूल में पांचवीं कक्षा की छात्रा इसका ताजा उदाहरण है। निजी स्कूल अध्यापकों व कर्मचारियों के कोरोना काल के वेतन का भुगतान भी नहीं कर रहे हैं। आईवी स्कूल के अध्यापकों व कर्मचारियों ने शिक्षा विभाग के 27 मई 2020 के अनुसार जब कोरोना काल का वेतन मांगा तो लगभग एक दर्जन अध्यापकों व कर्मचारियों को गैर कानूनी तरीके से नौकरी से निकाल दिया गया।  अतिरिक्त निदेशक ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि बिना जनरल हाउस की मंजूरी के फीस बढ़ोतरी को अमान्य किया जाएगा व निजी स्कूलों को अभिभावकों की आम सभा करके पीटीए के गठन के आदेश दिए जाएंगे। उन्होंने अध्यापकों व कर्मचारियों के कोरोना काल के वेतन का भुगतान करने का भी आश्वासन दिया।मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि निजी स्कूल सीबीएसई व हि.प्र.स्कूल शिक्षा बोर्ड के दिशानिर्देशनुसार एनसीईआरटी व एससीईआरटी की सस्ती व गुणवत्तापूर्वक किताबों को लगाने के बजाए प्राइवेट पब्लिशर्ज़ की चार गुणा महंगी किताबों को बेचकर निजी स्कूल प्रबंधनों द्वारा अभिभाकों पर भारी आर्थिक बोझ लाद कर भारी मुनाफाखोरी की जा रही है। या पर तुरन्त रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निजी स्कूलों की फीस के संचालन के संदर्भ में दिए गए  दिशानिर्देशों व मार्च 2020 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं व इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं। निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व  हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी। कोरोना काल में जब प्रदेश सरकार ने शिक्षण संस्थानों को पन्द्रह अप्रैल तक बन्द कर दिया है तब ऐसे समय में निजी स्कूल अभिभावकों को मैसेज भेज कर तुरन्त फीस जमा करवाने के लिए दबाव बना रहे हैं। कुछ स्कूलों ने फीस जमा करवाने के लिए एक सप्ताह का समय भी नहीं दिया है। यह जानबूझकर किया गया है ताकि अभिभावक दबाव में आ जाएं व निजी स्कूलों द्वारा निर्धारित मनमानी फीस को जमा करवाने के लिए मजबूर हो जाएं। उन्होंने प्रदेश सरकार से एक बार पुनः मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस,पाठयक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरन्त कानून बनाए व रेगुलेटरी कमीशन का गठन करे।छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों द्वारा वर्ष 2021 की टयूशन फीस में फीस में पन्द्रह से पैंसठ प्रतिशत बढ़ोतरी व कम्प्यूटर फीस में सौ प्रतिशत तक की बढ़ोतरी,छात्रों व अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने व निजी स्कूलों में प्रबंधन द्वारा शिक्षकों व गैर शिक्षकों की कोरोना काल में छंटनी व उनको वेतन न देने के खिलाफ शिक्षा निदेशालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त निदेशक उच्चतर शिक्षा से मिला व उन्हें मांग पत्र सौंपा। अतिरिक्त निदेशक ने आश्वासन दिया कि दो दिन के भीतर वर्ष 2021 में निजी स्कूलों द्वारा की गयी पन्द्रह से पैंसठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा,अरुण ठाकुर,किशन सिंह,रमेश चंद,राजेश वशिष्ठ,दिनेश,धर्म चंद,चन्द्रमणि,पवन,राजू,बालक राम,दलीप सिंह,राकेश कुमार,नोख राम,सतपाल बिरसांटा,सुरेंद्र बिट्टू,पूर्ण चंद,राम प्रकाश,हनी,हिमी देवी,संगीता,सीमा आदि मौजूद रहे।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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