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छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों की मनमानी भारी फीसों, ड्रेस व किताबों की बेतहाशा कीमतों, प्रवेश प्रक्रिया व पाठयक्रम को संचालित करने, टयूशन फीस के साथ एनुअल चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाने, स्कूल कार्यक्रमों के नाम पर ठगी रोकने आदि मुद्दों पर आगामी विधानसभा सत्र में कानून व रेगुलेटरी कमीशन बनाने की मांग की है। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक विवेक कश्यप ने कहा है कि निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन तेज होगा। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने आगामी प्रस्तावित बजट सत्र में निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए कानून न लाया तो निर्णायक आंदोलन होगा। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि आगामी प्रस्तावित विधानसभा सत्र में निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए हर हाल में कानून व रेगुलेटरी कमीशन बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के समय अभिभावकों के आंदोलन के कारण सरकार ने कानून बनाने की दिशा में एक पहलकदमी की थी परंतु निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में इस कानून के प्रारूप को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। हालांकि अभिभावकों व आम जनता से कानून के संदर्भ में हिमाचल प्रदेश के उच्चतर शिक्षा निदेशक ने अनेकों सुझाव प्राप्त किए थे परंतु कानून बनने की प्रक्रिया सिरे नहीं चढ़ी। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद निजी स्कूलों को संचालित करने के संदर्भ में पिछले दो वर्षों से चुप्पी साधे हुई है। मंच का मानना हे कि कानून के अभाव में फीसों, किताबों व ड्रेस के नाम पर खुली लूट हो रही है। पिछले पांच वर्षों में आम जनता की आय में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं है लेकिन निजी स्कूलों की फीसें दोगुनी हो गई हैं। किताबों व ड्रेस के नाम पर मनमानी लूट हो रही है। किताबें व ड्रेस चुनिंदा दुकानों से ही मिलना निजी स्कूल प्रबंधनों की कमीशनखोरी की पोल खोल रहा है। इस सब पर सरकार मौन है जिस से साफ जाहिर हो रहा है कि निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी लूट को प्रदेश सरकार का आशीर्वाद प्राप्त है। मंच इसके खिलाफ मोर्चाबंदी करेगा व जरूरत पड़ी तो विधानसभा पर प्रदर्शन भी होगा।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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