शिमला के गेयटी थिएटर में संत निरंकारी मिशन द्वारा दो दिवसीय
‘‘वननेस टॉक’’ अर्थात् एकत्व संवाद का भव्य आयोजन
शिमला, 23 मई 2025:- हम अपनी जीवन की यात्रा में अनेक किरदार निभाते हैं, कहीं बेटे या बेटी के रूप में, तो कहीं मां-बाप, पति-पत्नी, कर्मचारी या मालिक, एक जिम्मेदार नागरिक और ऐसे अनेक सामाजिक संबंधों के रूप में। लेकिन इन सभी भूमिकाओं को निभाते-निभाते हम अक्सर अपने भीतर के उस मौलिक प्रश्न को अनदेखा कर देते हैं कि मैं वास्तव में कौन हूँ?
इसी गूढ़ प्रश्न के उत्तर की खोज हेतु संत निरंकारी मिशन द्वारा दो दिवसीय ‘‘वननेस टॉक’’ अर्थात् एकत्व-संवाद का आयोजन 23 मई 2025, शुक्रवार सांय 6:00 बजे से गेयटी थिएटर, शिमला में भव्य रूप में आयोजित किया गया। जिसमें संत निरंकारी मण्डल दिल्ली से पधारे कार्यकारिणी सदस्य, आदरणीय श्री राकेश मुटरेजा ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में बताया कि इस आत्मिक श्रृंखला का उद्देश्य है एक साथ मिलकर आत्ममंथन करना और उस मौन प्रश्न की खोज करना जो भीतर की चेतना को जागृत करता है कि मैं कौन हूँ? यह संवाद एक अवसर है उस आंतरिक यात्रा को आरंभ करने का, जहाँ हमारी असली पहचान बाहरी रूपों में नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर निवास करती है।
उन्होंने बताया कि “वननेस टॉक” कोई सामान्य वार्ता नहीं, बल्कि एक भावपूर्ण चिंतन को समर्पित एक आत्मिक संवाद है।
इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन विशेष रूप से उन सभी आत्मिक जिज्ञासुओं के लिए किया गया जो भागदौड़ भरे जीवन में कुछ पल अपने भीतर की ओर देखना चाहते हैं। इस दौरान निरंकारी मिशन दिल्ली से आए नीमा अकादमी के प्रिंसिपल डॉक्टर विनोद गंधर्व तथा उनकी टीम ने संगीत के माध्यम से सभागार में उपस्थित सभी श्रोतागणों को मंत्रमुग्ध किया; जिसमें महक राणा जी, आरती जी तथा इंदर गिल जी ने भजनों की प्रस्तुति दी।
इस कार्यक्रम का मिशन के अनुयायियों के अलावा विभिन्न धार्मिक संगठनों के गणमान्य व्यक्तियों, स्थानीय लोगों, युवाओं व पर्यटकों ने भी भरपूर आनंद उठाया।
इस अवसर पर शिमला के जोनल इंचार्ज आदरणीय कैप्टन निमरत प्रीत सिंह भुल्लर जी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि भाग दौड़ भरी इस जिंदगी में इंसान को आध्यात्मिकता का ज्ञान होना अति आवश्यक है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं, आत्म-साधकों और जिज्ञासु आत्माओं को सादर आमंत्रित किया कि आइए, हम सभी मिलकर उस मौन प्रश्न की ओर बढ़ें जो हमारे जीवन की गहराई को स्पर्श करता है कि ’’मैं कौन हूँ?’’ यह एक ऐसा आत्मिक अवसर है, जहाँ हम भीतर झांकने, स्वयं को समझने और अपनी वास्तविक पहचान को जानने का प्रयास कर सकते हैं। इस जीवनदायिनी संवाद में सहभागी बनें और आत्मचेतना की उस यात्रा पर अग्रसर हों, जहाँ हमें उत्तर मिल सकता है कि “मैं वास्तव में कौन हूँ?”