शिमला, 5 सितम्बर। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), सरिता विहार, नई दिल्ली में 3 और 4 सितम्बर को राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत “राज्यों में क्षमता निर्माण” विषय पर दो दिवसीय विभागीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन का उद्घाटन भारत सरकार के आयुष राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने किया। इस अवसर पर देशभर से राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी, नीति-निर्माता और विशेषज्ञ शामिल हुए तथा आयुष सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के अवसरों, चुनौतियों और आगे की कार्ययोजना पर विचार-विमर्श किया।
सम्मेलन के दौरान छह कार्य समूहों का गठन किया गया। हिमाचल प्रदेश को “गुणवत्ता, अधो संरचना, सेवा प्रदायगी एवं भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (IPHS)” विषय सौंपा गया, जिसमें उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश नोडल राज्य रहे। इस कार्य समूह में त्रिपुरा, तेलंगाना और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह को भी सम्मिलित किया गया।
हिमाचल प्रदेश के आयुष सचिव ए शायनामोल एवं आयुष निदेशक रोहित जमवाल ने राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 1241 आयुष संस्थान कार्यरत हैं और लगभग 79 लाख की जनसंख्या में से 41 लाख लोग प्रतिवर्ष इन सेवाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य ने विशेष रूप से दूरदराज़ और जनजातीय क्षेत्रों तक आयुष सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने, पंचकर्म इकाइयों के विस्तार, योग वेलनेस केंद्रों की स्थापना, होम्योपैथिक सेवाओं के सुदृढ़ीकरण तथा औषध निर्माण इकाइयों के आधुनिकीकरण को अपनी प्रमुख उपलब्धियाँ बताया।
राज्य ने सम्मेलन में क्षमता निर्माण, मानव संसाधन प्रशिक्षण, दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण, डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड तथा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के अंतर्गत हेल्थ प्रोफेशनल रजिस्ट्री और हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री में पंजीकरण संबंधी प्रयासों की जानकारी भी प्रस्तुत की। वहीं चुनौतियों के रूप में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी, दवाओं की समय पर आपूर्ति और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ एकीकरण की आवश्यकता को रेखांकित किया।
हिमाचल प्रदेश ने सुझाव दिया कि राज्यों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान किया जाए, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए, पंचकर्म और योग जैसी परंपरागत चिकित्सा प्रणालियों का प्रसार हो तथा साक्ष्य-आधारित अनुसंधान को प्राथमिकता दी जाए।
सम्मेलन से प्राप्त निष्कर्ष भविष्य में राष्ट्रीय आयुष मिशन की योजनाओं को और अधिक प्रभावी, समन्वित और जन-केंद्रित बनाने में सहायक होंगे। हिमाचल प्रदेश का योगदान विशेष रूप से गुणवत्ता, सेवा प्रदायगी और IPHS मानकों के क्षेत्र में नीतिगत दिशा तय करने में महत्वपूर्ण रहेगा।