शिमला,हिमशिखा न्यूज़।04/01/2023
प्रदेश वन विभाग के सुकेत वन मंडल का कारनामा
लेबर कोर्ट धर्मशाला के आदेशों को दरकिनार कर टर्मिनेट कर्मियों को कर दिया रेगुलर
मामले की सुस्त गति से चल रही जांच
शिकायत कर्ता ने सरकार से जांच न होने पर जहर खाने की मांगी इजाजत
हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के सुकेत वन मंडल सुंदरनगर की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। सुकेत वन मंडल ने लेबर कोर्ट धर्मशाला से 2012-13 में टर्मिनेट 6 में से 5 लोगों को सोमराज, किशोर कुमार, हरिसिंह, घनश्याम, देबू को 2017 में नियमित कर दिया है जबकि एक व्यक्ति घनश्याम पुत्र केशव राम को छोड़ दिया गया।जिससे सुकेत वन मंडल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।2012 में धर्मशाला लेबर कोर्ट ने इन 6 लोगों को नियमित करने के लिए एक साल में जरुरी 240 दिन की सेवाएं पूरी न होने की योग्यता को अधूरा पाया था और इनकी नियुक्ति को भी डिसमिस कर दिया था लेकिन हैरानी की बात यह है कि कोर्ट के आदेशों को दरकिनार करते हुए सुकेत वन मंडल ने 2017 में इनमें से पांच कर्मियों को नियमित कर दिया।
मामले को लेकर घनश्याल पुत्र बाबू राम उर्फ केशव राम ब्लॉक बेहली, रेंज ऑफिस कांगू सुन्दर नगर ने मार्च 2021 में शिमला पीसीसीएफ, सीसीएफ मंडी, डीएफओ सुकेत को लिखित में शिकायत दी है और नियुक्तियों की जांच की मांग की है जिस पर सुकेत वन मंडल डीएफओ जांच कर रहे है लेकिन 1 साल से भी अधिक का समय बीत जाने पर भी जांच पुरी नहीं हो पाई है। डीएफओ सुकेत वन मंडल सुभाष पराशर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नियुक्तियों को लेकर जांच चल रही है अगर कुछ भी खामियां पाई जाती है तो उचित कारवाई दोषियों के खिलाफ़ की जाएगी।विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नियुक्तियों में जांच के दौरान अनियमितताएं पाए जाने के तथ्य सामने आए हैं। क्योंकि जो दस्तावेज़ धर्मशाला लेबर कोर्ट में 2012 में दिए गए थे उसके मुताबिक नियुक्तियां रद्द कर दी गई थी लेकिन बाद में विभाग ने 2017 में दुसरे दस्तावेज़ के आधार नियुक्ति दे दी जो सवालों के घेरे में है।मामले को लेकर शिमला राज्य वन विभाग मुख्यालय में पूछा गया तो उन्होन कहा कि मामले को लेकर जांच की जा रही है और रिपोर्ट आने के बाद कारवाई की जायेगी।वहीं शिकायत कर्ता घनश्याम पुत्र बाबू राम उर्फ केशव राम ने मामले को लेकर डीएफओ सुकेत वन मंडल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद गलत नियुक्तियां की है। अगर नियुक्तियां गलत नहीं है तो उन्हे क्यों नियमित नहीं किया गया। शिकायत कर्ता में सरकार से गुहार लगाई है कि मामले की जल्द छानबीन की जाएं और अगर नियुक्तियां गलत पाई जाती है तो उन्हें रद्द किया जाए अन्यथा उन्हें भी वन विभाग नियमित करें या जहर खाने की सरकार परमिशन दे।