हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम कार्यालय को शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करने के विरोध में शिमला शहर में पर्यटन कारोबार से जुड़े सैंकड़ों लोगों ने शिमला पर्यटन बचाओ संघर्ष समिति के माध्यम से उपायुक्त कार्यालय शिमला पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में होटल संचालकों, होम स्टे, बीएंडबी, रेस्तरां, टुअर एंड ट्रेवल संचालकों, टैक्सी ऑपरेटरों, घोड़े वालों, याक वालों, प्रैम संचालकों, गाइडों, ड्राइवरों, मजदूरों, कुलियों, हस्तशिल्पियों, शिल्पकारों कारीगरों, दुकानदारों, किसानों, तहबाजारी सहित सैंकड़ों लोग शामिल रहे। प्रदेश सरकार की पर्यटन विरोधी, जनता विरोधी एवं पर्यटन निगम कर्मचारी विरोधी नीति के खिलाफ 25 अगस्त को विधानसभा पर जोरदार रैली होगी। प्रदर्शन में गाइड एंड टुअर एंड ट्रेवल एसोसिएशन अध्यक्ष हरीश व्यास, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, थ्री स्टार टैक्सी यूनियन ओल्ड बस स्टैंड अध्यक्ष एवं ज्वाइंट एक्शन कमेटी हिमाचल प्रदेश चेयरमैन राजेंद्र ठाकुर, रविदास सभा अध्यक्ष कर्मचंद भाटिया, चूड़ेश्वर टैक्सी ऑपरेटर यूनियन अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वर्कर्ज फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष बलबीर राणा, सीटू उपाध्यक्ष जगत राम, शिमला नागरिक सभा अध्यक्ष जगमोहन ठाकुर, सचिव विवेक कश्यप, जयमाता टैक्सी यूनियन आईएसबीटी प्रधान राजेंद्र शर्मा, हिमाचल हैवन हॉलीडेज टुअर एंड ट्रेवल से रितेश ठाकुर व रूप लाल पंवर लक्की, स्नो व्यू टैक्स ऑपरेटर यूनियन प्रधान बिट्टू ठाकुर, ढली टैक्सी यूनियन प्रधान विनोद ठाकुर, छोटा शिमला टैक्सी यूनियन से राकेश, सुनील, नक्तान टुअर एंड ट्रेवल से देवराज शर्मा, पलक टुअर एंड ट्रेवल से प्रेम शर्मा, हिम टुअर एंड ट्रेवल से अरुण शर्मा, एयरपोर्ट जुब्बड़हट्टी टैक्सी ऑपरेटर यूनियन से नरेश कुमार, शिमला गाइड यूनियन महासचिव बलबीर शर्मा, कोषाध्यक्ष अनिल शर्मा, गोबिंद नेगी, हिमी देवी, महेश वर्मा, हेमराज चौधरी, दलीप सिंह, वीरेंद्र, सीताराम, रत्ती राम, सुभाष, उजागर, दर्शन लाल, पवन, अशोक कुमार आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए हरीश व्यास, विजेंद्र मेहरा, राजेंद्र ठाकुर, मदन लाल, सुनील कुमार एवं विवेक कश्यप ने कहा कि पर्यटन निगम के कार्यालय को शिमला से स्थानांतरित करने से शिमला व हिमाचल प्रदेश में पर्यटन पर विपरीत असर पड़ेगा। प्रदेश सरकार का यह कदम जनता विरोधी, पर्यटन विरोधी एवं पर्यटन निगम कर्मचारी विरोधी है। पिछले दो सौ वर्षों से शिमला विश्व मानचित्र पर पर्यटन नगरी के रूप में जाना जाता रहा है। प्रदेश में पर्यटन से इकट्ठा होने वाले राजस्व में एक बहुत बड़ा भाग शिमला से एकत्रित होता है। हिमाचल प्रदेश में पर्यटन के मुख्य केंद्र बिंदुओं में शिमला का नाम अग्रणी है। कार्यालय स्थानांतरित करने का कदम न तो प्रशासनिक रूप से सही है और न ही व्यावहारिक है। सरकार के इस कदम के पीछे कोई सूझ बूझ नजर नहीं आती है। यह कदम राजनीति से प्रेरित कदम ज्यादा नजर आता है। प्रदेश में आने वाले विदेशी, देशी व राज्य के पर्यटकों का बहुत बड़ा हिस्सा शिमला ही आता है। प्रदेश में पर्यटन से रोजगार अर्जित करने वाले होटल संचालकों, होम स्टे, बीएंडबी, रेस्तरां, टुअर एंड ट्रेवल संचालकों, टैक्सी ऑपरेटरों, घोड़े वालों, याक वालों, प्रैम संचालकों, गाइडों, ड्राइवरों, मजदूरों, कुलियों, हस्तशिल्पियों, शिल्पकारों कारीगरों, दुकानदारों, किसानों, तहबाजारी की हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक संख्या भी शिमला में ही है। निगम कार्यालय स्थानांतरित करने से लाखों लोगों की आजीविका पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। इन तबकों की रोजमर्रा आवश्यकताओं को दरकिनार करके पर्यटन निगम कार्यालय को स्थानांतरित करना बिल्कुल भी बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय नहीं है। शिमला से इस कार्यालय के स्थानांतरित होने से निगम पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा। यह व्यावहारिक रूप से कार्य नहीं कर पाएगा क्योंकि इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में प्रमुख रूप से मुख्य सचिव, पर्यटन सचिव, वित्त सचिव, निदेशक पर्यटन आदि कई अधिकारी शामिल होते हैं। बोर्ड अध्यक्ष भी ज्यादातर समय मुख्यमंत्री ही होते हैं। अतः प्रदेश सरकार सचिवालय शिमला से कार्य करने वाले अधिकारियों को कई सौ किलोमीटर दूर निगम कार्यालय को संचालित करने में भारी दिक्कतें आएंगी। पर्यटन निगम के कर्मचारियों को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पेंशन भुगतान नहीं किया जाता है। वे शिमला स्थित ईपीएफ के दायरे में आते हैं। शिमला में पर्यटन निगम व ईपीएफ कार्यालय होने के कारण इन कर्मचारियों को अपने कार्य करवाने में आसानी रहती थी। अब कई सौ किलोमीटर के दायरे में स्थित दो कार्यालयों के चक्कर में न केवल उनके कई दिन लगेंगे अपितु।उन्हें भारी आर्थिक हानि भी होगी। अतः इस कार्यालय के स्थानांतरण से पर्यटन कारोबार से जुड़ी जनता, लाखों लोगों एवं निगम के सैंकड़ों कर्मचारियों को भारी नुकसान होगा। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि इस निर्णय को तुरंत निरस्त किया जाए व इस कार्यालय को यथावत शिमला में ही रखा जाए।