डाडासीबा,हिमशिखा न्यूज़ 31/01/2022
संजय पराशर की सुव्यवस्था से लाभान्वित हो रहे बुजुर्ग
-मेडीकल कैंपों के बाद भी मरीजों से ली जा रही फीडबैक
डाडासीबा-
जसवां-परागपुर क्षेत्र के अंतिम छोर पर बसा गांव है मगरू। इसी गांव के तिलक राज की मोतियाबिंद की बीमारी से देखने की क्षमता दिन व दिन कम होती जा रही थी। इसी बीच किसी संबंधी ने बताया कि कैप्टन संजय के निशुल्क मेडीकल कैंपों में आखों की जांच करवा लेनी चाहिए। तिलक ने पहले इस सलाह को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जब गांव के ही कई लाेगों की सकारात्मक फीडबैक मिली तो उन्होंने भी पराशर के रक्कड़ में आयोजित स्वास्थ्य शिविर में आंखों की जांच करवाई। चिकित्सकों ने दोनों ही आंखों के आपरेशन करवाने की सलाह दी। फिर कैप्टन संजय के सौजन्य से दोनों ही आंखों का सफल आपरेशन हुआ। इसके बाद तिलक की आंखों की रोशनी पहले से बेहतर हुई तो उन्होंने यह अनुभव भी सांझा किया कि पराशर की टीम उनकी सेहत के बारे में लगातार संपर्क में रही और यह सिलसिला अब भी जारी है। ऐसे ही अनेकों उदाहरण इस क्षेत्र मेें कई और हैं, जहां उपचार के बाद भी संजय ने अपनी टीमों को मरीजों के घरों में किसी दिक्कत या परेशानी को जानने के लिए भेजा। संजय की इस सुव्यवस्था से विशेष रूप से दूरदराज के गांवाें के बुजुर्ग मरीज लाभान्वित हुए हैं।
दरअसल पिछले वर्ष फरवरी माह में पराशर ने मेडीकल कैंप लगाने की शुरूआत की थी। अब तक उनके द्वारा कुल 21 स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन हो चुका है। संजय द्वारा लगाए गए कैंपों में लाभार्थियों की संख्या का आंकड़ा बीस हजार से ऊपर रहा, जिसमें मरीजों के निशुल्क मोतियाबिंद के आपरेशन, फ्री चश्मे आैर कानों की मशाीनें वितरित की गईं। अब तक संजय पराशर ने 975 विशेष प्रकार के चश्मे निशुल्क लाभार्थियों के घराें तक पहुंचाए हैं तो 454 को कानों की मशीनें की बैटरी भी बिना खर्च किए उपलब्ध करवाई हैं।
अमूमन किसी भी मेडीकल कैंप में चेक अप और इलाज होने के बाद कोई भी संस्था या एनजीओ मरीजों का दोबारा हाल जानने नहीं पहुंचती। इसका एक कारण यह भी होता है कि इसमें अतिरिक्त आर्थिक साधन व मैन पावर प्रयोग करनी पड़ती है। लेकिन ठीक इसके विपरित पराशर की एक विशेष टीम इन मरीजों का महीनों बाद भी हाल जानने पहुंच रही है। पराशर द्वारा आयोजित स्वास्थ्य शिविरों में पहुंचे लाभार्थियों से संपर्क साध कर कानों की मशीन और चश्मों को लेकर महीनों बाद भी संपर्क साध कर फीडबैक ली जा रही है। जसवां-परागपुर क्षेत्र से तीर्थ राम, देसराज, दौलत राम, कश्मीर सिंह और बलेदव सिंह बताते हैं कि उन्होंने पराशर द्वारा लगाए मेडीकल कैंप में निशुल्क आखों का चश्मा हासिल किया था, लेकिन कुछ समय पूर्व उनकी ही लापरवाही से चश्मा टूट गया। पराशर की टीम ने उनसे संपर्क किया और नया चश्मा मुफ्त में उपलब्ध करवा दिया। वहीं, तारा देवी, सीता राम, सतपाल और रामकृष्ण ने बताया कि एक बार पराशर को फोन करने के बाद ही उनकी कानों की मशीन की बैटरी बदल दी गई। कैप्टन संजय के सामाजिक सरोकार जीवन मूल्याें और संस्कारों के महत्व को आत्मसात किए हुए हैं। पराशर ने कहा कि किसी बुजुर्ग का चश्मा टूटने या कान की मशीन की बैटरी खत्म होने पर तीन दिनों के भीतर घर पर जाकर ही चश्मे व बैटरी उपलब्ध करवाए जाते हैं।