चिंतपूर्णी, हिमशिखा न्यूज़ 02/02/2023
जिला ऊना के गांव खरोह का उप-स्वास्थ्य केंद्र व आवास खोल रहे सरकार और प्रशासन की पोल
स्थानीय लोग राजनीतिक करण के चलते स्वास्थ्य उपचार से वंचित
लोगों को सुदृढ़ स्वास्थ्य देना मात्र कागजों एवं घोषणाओं तक सिमटा
हिमाचल के जिला ऊना के चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र के तहत पड़ते गांव खरोह का स्वास्थ्य केन्द्र पिछले कई सालों से बंद पडा हुआ है। ऐसे में सरकार के साथ-साथ शायद जिला स्वास्थ्य विभाग के लोगों के प्रति सुदृढ़ स्वास्थ्य के वायदे खोखले साबित नजर आ रहे हैं, क्योंकि एक तरफ यहां सरकार व जिला प्रशासन लोगों की सेहत के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ ना होने का वादा करता रहा है, वहीं दूसरी तरफ अगर ऐसे ही उप-केंद्रों पर ताले लटकते देखे जाएं तो जिला में खोला गया यह स्वास्थ्य केंद्र ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। आखिर कब तक लोग ऐसी समस्याओं का सामना करते रहेंगे, यह तो ऊपर वाला ही जानता होगा। वहरहाल, अगर लोगों की ऐसी समस्याओं को मीडिया द्वारा प्रमुखता से उठाया जाता है तो विभाग के आला अधिकारी ही स्टाफ पुरा ना होने की दुहाई देते हुए ऐसी समस्याओं को सुलझाने की बजाय अपना पीछा छुड़ा लेते हैं।
वहीं, सुनसान पड़े इस स्वास्थ्य केंद्र कि जब टीम द्वारा जानकारी हासिल करनी चाही तो स्थानीय गाँव की प्रधान रीता देवी ने बताया कि लगभग पिछले 3 साल से यह स्वास्थ्य केंद्र बंद पढ़ा है और उन्होंने कई बार स्वास्थ्य विभाग को इस बारे जानकारी भी दी है, लेकिन आज तक यहां पर किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है। और उनकी ग्राम पंचायत के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित चल रहे हैं।
बीएमओ अंब डॉक्टर राजीव गर्ग से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके चिकित्सा खंड के अधीनस्थ स्टाफ की कमी खल रही है, इसलिए उपरोक्त स्वास्थ्य केंद्र बंद पढ़ा है। उन्होंने कहा कि उक्त गांव के लोगों को अगर स्वास्थ्य संबंधी कोई आपात स्थिति आती है, तो वह साथ लगते अस्पताल में पहुंचकर अपनी स्वास्थ्य जांच करवा रहे हैं।
आपको बता दें कि आज से करीब 13 वर्ष पहले यह स्वास्थ्य केंद्र स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए बना था और अब यह विभागीय प्रक्रिया के बीच अकारण बंद पड़ा हुआ है। सरकार और विभाग के बीच फंसे इन गांव के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकारें घर द्वार पर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बात तो करती हैं, परन्तु धरातल पर सच्चाई कुछ ओर ही देखने को मिलती है। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना डाक्टर ओर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग की लेटलतीफी के चलते यह असपताल सफेद हाथी बनकर रह गया है।