26 नर्सिंग छात्राओं ने ली अंगदान की शपथ
अंगदान महोत्सव के तहत सोटो ने आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम
शिमला के अनाडेल स्थित मार्डन एजुकेशन कॉलेज में शनिवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) हिमाचल प्रदेश की ओर से अंगदान महोत्सव पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस मौके पर 26 छात्राओं ने अंगदान करने की शपथ ली। कार्यक्रम में सोटो के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश कुमार ने छात्राओं को ऑर्गन डोनेशन के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि मरीजों की देखभाल में नर्सें विशेष भूमिका निभाती हैं। इसी कारण मरीज व तीमारदारों के बीच भावनात्मक रिश्ता बन जाता है। ऐसे में अगर कोई मरीज ब्रेन डेड की स्थिति में होता है तो वे उनके परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित कर सकती हैं। इस स्थिति में नर्सिंग स्टाफ का जागरूक होना बेहद जरूरी है। लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं। अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। किसी व्यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद, डॉक्टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल पाते हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं।
अंगदान के लिए परिजनों को तैयार करना चुनौतीपूर्ण
अंग लेने के लिए पारिवारिक जनों की सहमति बेहद जरूरी रहती है। ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को अंगदान करने के लिए तैयार करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। अंगदान के संबंधित सही जानकारी व भ्रम होने की वजह से अधिकतर लोग अंगदान करने से पीछे हट जाते हैं। इसीलिए अगर लोगों में पहले से अंगदान को लेकर पर्याप्त जानकारी होगी तभी ऐसे मौके जरूरतमंदों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं।
अंगदान के लिए परिजनों की सहमति सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ट्रांसप्लांट के लिए जिस व्यक्ति के शरीर से अंगों को निकाला जाता है , उस शरीर को क्षत-विक्षत नहीं किया जाता। विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में आंखों सहित अन्य अंगों को सावधानी पूर्वक निकाला जाता है। शरीर के जिन हिस्सों से अंग निकाले जाते हैं उन जगहों पर स्टिचिंग की जाती है। कॉर्निया निकालने के बाद आर्टिफिशियल आंखें मृत शरीर में लगा दी जाती है ताकि शरीर भद्दा नजर ना आए ।