उच्च घनत्व बागवानी सीखने हेतु हिमाचल प्रदेश के बागवान जम्मू कश्मीर रवाना ,
उद्यान विभाग के निदेशक विनय सिंह (LAS) ने बागवानी विकास परियोजना के अंतर्गत जम्मू कश्मीर प्रशिक्षण भ्रमण पर जा रहे प्रदेश के 50 बागवानों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। परियोजना के अंतर्गत जिला किन्नौर, शिमला, सोलन, सिरमौर चम्बा, मण्डी, कुल्लू तथा लाहोल के बागवानों को श्रीनगर में बागवानी की तकनीकों को जानने के उदेश्य से प्रशिक्षण भ्रमण पर भेजा जा रहा है।
परियोजना के अंतर्गत 20 बागवानों को पूर्व में भी कश्मीर में प्रशिक्षण भ्रमण तथा 261 जल उपभोगता समुहों के सही संचालन सीखने हेतु 55 बागवान सदस्यों को ICAR-IISWC, देहरादून व पानी पंचायत, पूना महराष्ट्र भेजा जा चुका है। उच्च घनत्व पौध रोपण हेतु उचित सिंचाई व्यवस्था का होना अनिवार्य है इसलिए जल स्त्रोंतों के निर्माण व रख रखाव हेतु परियोजना मे विशेष बल दिया जा रहा है लगभग 13000 हेकटेयर भूमि में सिंचाई हेतु जल भंडारण ढांचों का निर्माण किया जा चुका है।
इस परियोजना के माध्यम से सामूहिक रूप से उपज का एकत्रीकरण व विपणन हेतु 6 जिलों में 30 किसान उत्पादक कंपनियों द्वारा सामुदायिक किसान सेवा केन्द्रों की स्थापना की गयी है, जिसमें 12240 लाभार्थी हैं। इन किसान उत्पादक कम्पनियों (Farmer Producer Companies) के लगभग 200 बागवान सदस्यों को प्रदेश से बाहर हरियाणा के सिरसा व करनाल की उन्नत किसान उत्पादक कम्पनियों की कार्य प्रणाली को सीखने भेजा जा चुका है। अब इन किसान उत्पादक कम्पनियों को और अधिक सशक्त करने के उद्देश्य से 41 बागवान सदस्यों को महाराष्ट्र की किसान संचालित कम्पनी, सहयाद्री फार्म नासिक में प्रशिक्षण भ्रमण पर भेजा जा रहा है जो 5 फरवरी को प्रदेश से रवाना होंगे।
इस परियोजना के अंतर्गत अंतराष्ट्रीय पौधशालाओं से उच्च गुणवत्ता वाली विभिन्न फल फसलों के पौधों की किस्मों का आयात कर, विभागीय फल पौधशालाओं में संवर्धन किया जा रहा है ताकि बागवानों की मांग के अनुसार उन्हें उचित मूल्य पर उन्नत पौध उपलब्ध कारवाई जा सके । प्रदेश में फलों की उत्पादक्ता में सुधार तथा विविधिकरण को बढ़ावा देने हेतु अंतराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा पौधशाला प्रबंधन, फल फसल प्रबंधन तथा जल प्रबंधन इत्यादि में प्रशिक्षित किया गया है। अंतराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न शिविरों के माध्यम लगभग 5000 बागवानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त विभागीय अधिकारियों व विज्ञानिकों द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों के लगभग 50,000 बागवानों को प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से बागवानी की नवीनतम गतिविधियों से अवगत करवाया जा चुका है।
प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के परिणामस्वरूप गुणात्मक परिवर्तन होते हैं जो नई तकनीक को अपनाने में सहायक होते हैं, और बागवानी विभाग इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है।