जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता वास करते हैं – साध्वी दिवेशा भारती
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा स्थानीय श्री राम मंदिर अन्नाडेल शिमला में पांच दिवसीय शिव कथा का आयोजन किया गया है।कथा प्रारम्भ से पहले राजन कुमार ने परिवार सहित विधिवत पूजन किया।तीसरे दिवस की कथा में में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री दिवेशा भारती ने बताया कि माता सती अपने जीवन के अन्तिम पलों में शिव भगवान के चरणों में प्रार्थना करती है कि अगले जन्म में भगवान शिव ही उन्हें पति रूप में प्राप्त हो और अगले जन्म में माता सती हिमालय राज व मैना के यहां पुत्री रूप में जन्म लेती है। उनके जन्म लेने पर सारा हिमालय नगर आनंद से भर उठा।
साध्वी जी ने बताया की पुत्री के जन्म लेने पर उनकी माता पिता की प्रसन्नता की कोई सीमा ना रही। परंतु आज के परिवेश में पुत्री को जन्म लेने से पहले ही मां के गर्भ में मार दिया जाता है। वह कन्या जिसे भारत भूमि पर लक्ष्मी का रूप कहा जाता है और नवरात्रों में नन्ही नन्ही कन्याओं की पूजा होती है उसी भूमि पर आज नारी को जन्म लेने का भी अधिकार नहीं दिया जाता। स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि मेरे देश में नारी प्रार्थना के योग्य है क्योंकि प्रार्थना से विश्व की एक नई आत्मा का जन्म होता है। यह आत्मा ही किसी राष्ट्र की सार्थक संपत्ति है। हमारे देश की वर्तमान स्थिति का मुख्य कारण हैं को हमने शक्ति की इन सजीव प्रतिमाओं के प्रति आदर की भावना नहीं रखी।साध्वी जी ने समझाया कि अपनी बेटी को बेटे के समान ही प्यार दें. संस्कार दें, क्योंकि संस्कारी संतान ही माता पिता का नाम रौशन कर सकती हैं। कथा में पार्वती जी के जन्मोत्सव को धूमधाम के साथ मनाया गया।
साध्वी जी ने कहा कि मात्र केवल प्रभु की कथा को कह देना या सुन लेना ही पर्याप्त नहीं है। प्रभु के चरित्र से शिक्षा ग्रहण कर उसका जीवन में अनुसरण भी करना होगा।
कथा में आर्मी की 111 टी ए कुमाऊं बटालियन से सूबेदार मेजर विजेंदर कुमार ने अपने साथियों के साथ पहुंचकर प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त किया।
कथा उपरांत प्रतिदिन सारी संगत के लिए प्रशाद एवं भंडारे की व्यवस्था की जा रही है।