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शिमला,हिमशिखा न्यूज़ 

हिमाचल निजी बस ऑपरेटर संघ ने सरकार से मांग की है कि जिन 53 रूट परमिट को कैंसिल किया गया था। उन्हें फिर से बहाल किया जाए। संघ ने सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय  के आदेश के बावजूद उन्होंने रूट परमिट को कैंसिल किया था। जो परिवहन विभाग  की गलती थी। जिसका खामियाजा वे भुगत रहे हैं। हिमाचल निजी बस ऑपरेटर संघ अध्यक्ष  राजेश पराशर  ने कहा कि  यह सही है कि जो 53 परमिट रद्द किए गए हैं। वह मोटर वाहन अधिनियम के तहत नहीं आते थे, लेकिन जब निजी बस ऑपरेटरों ने रूट परमिट के संशोधन के लिए आवेदन दिया था। उस पर क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण को सोच समझ कर फैसला लेना चाहिए था, अब जबकि रूट परमिट को संशोधित हुए लगभग 3 वर्ष हो चुके हैं।
……..निजी ऑपरेटरों के साथ दोहरे मापदंड
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा निजी बस ऑपरेटर के प्रति हमेशा ही दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं। जबकि 24 किलोमीटर का पैमाना निजी बस ऑपरेटरों पर ही लागू नहीं होता है, जबकि एचआरटीसी पर भी 24 किलोमीटर का पैमाना अपनाया जाना चाहिए। सरकारी बस संचालन को लेकर उन्होंने कहा कि शिमला शहर में भी एचआरटीसी को बहुत ज्यादा परमिट दिए गए हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि शिमला शहर में परमिट पर रोक लगाई गई है। यह नियम और कानून मात्र निजी बस ऑपरेटर पर ही लागू होते है, जबकि एचआरटीसी को धड़ल्ले से परमिट दिए जा रहे हैं। इसलिए विभाग में दोहरे मापदंड न अपनाए। परिवहन विभाग को चाहिए कि जो 53 निजी बस ऑपरेटर उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद प्रभावित हुए हैं, उनके लिए कोई रणनीति बनाए। ताकि उनको भी अपने पुराने रुट पर ना जाना पड़े। 

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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