शिमला,हिमशिखा न्यूज़।।15/12/2021
हिमाचल प्रदेश विधासभा में प्रदेश सरकार के विकास के दावों की पोल नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने खोल दी है। सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर सवाल उठाए गए हैं। कैग के अनुसार 2019-20 में सरकार के लोक ऋण दायित्व और इसके ब्याज के भुगतान की रकम 62234 करोड़ होगी।इसमें 40572 करोड़ के मूलधन और 21662 करोड़ की ब्याज राशि शामिल है। सरकार को 2024-25 तक 6207 करोड़ हर साल मूलधन और ब्याज के रूप में अदा करने होंगे। शीत सत्र के अंतिम दिन सदन में जयराम सरकार ने कैग की रिपोर्ट पेश की।इसके मुताबिक 2019-20 में प्रदेश का राजकोषीय घाटा 5597 करोड़ दर्ज किया गया है। 14वें वित्तायोग तथा एफआरबीएम अधिनियम के मुताबिक राजकोषीय घाटा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। 2019-20 में यह घाटा जीडीपी का 3.38 फीसदी दर्ज किया गया। 2018-19 में प्रदेश को 510 करोड़ का अधिशेष (सरप्लस) दिखाया गया था। 2019-20 में यह 1363 करोड़ के प्राथमिक घाटे में बदल गया। रिपोर्ट में कहा गया कि 14वें वित्तायोग की प्रदेश की मध्य अवधि राजकोषीय योजना 14वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुरूप नहीं थी। इसका नतीजा यह हुआ कि 2019-20 के वास्तविक आंकड़े अनुमानित लक्ष्यों से मेल नहीं खा रहे थे2016 से 2020 के मध्य केंद्रीय करों के हस्तांतरण में वृद्धि की वजह से सरकार ने राजस्व अधिशेष दिखाया, लेकिन वास्तव में 2018-19 को छोड़ 2016-17 व 2019-20 में राजस्व अधिशेष में बढ़ोतरी नहीं हुई। 2019-20 में सरकार की राजकोषीय देनदारियों में 14.57 फीसदी का इजाफा हुआ। उस वर्ष सरकार की देनदारियां 62,212 करोड़ थीं। राजकोषीय देनदारियां सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले अधिक होने पर कैग ने सवाल खड़े किए हैं। 2013-14 से 2018-19 के मध्य खर्च किए गए 9154.31 करोड़ के अधिक खर्च को विधानसभा की मंजूरी का इंतजार है
प्रदेश को कम आया राजस्व
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में प्रदेश की राजस्व प्राप्तियों में 204.92 करोड़ की कमी आई है। 2018-19 के 30,950.28 करोड़ के मुकाबले 2019-20 में राजस्व प्राप्तियां घटकर 30,745.32 करोड़ रहीं। राजस्व प्राप्तियों में भी 67 फीसदी हिस्सा केंद्रीय करों में हिस्सेदारी व केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता अनुदान राशि का है। प्रदेश के अपने संसाधनों से खजाने में सिर्फ 33 फीसदी राजस्व आया है। 2019-20 में प्रदेश के खजाने में कर राजस्व के तौर पर 7626.78 करोड़ तथा गैर कर राजस्व के एवज में 2501.50 करोड़ जमा हुए। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के एवज में 4677.56 करोड़ तथा केंद्र से सहायता अनुदान के तौर पर प्रदेश को 15,939 करोड़ मिले।
वैट, जीएसटी की वसूली न होने से सरकार को नुकसान
रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वैट, आबकारी शुल्क, बिक्री कर और जीएसटी की समय पर उगाही न होने अथवा कम वसूली से सरकार को 1159 मामलों में 541.95 करोड़ का नुकसान हुआ है। शराब ठेकेदारों ने 19,13,244 प्रूफ लीटर कम शराब उठाई। सरकार को 58.50 करोड़ के राजस्व से वंचित रहना पड़ा। आबकारी एवं कराधान विभाग के लेखों की जांच के बाद कैग ने खुलासा किया है कि 36 लाइसेंसधारकों के कम शराब उठाने या फर्जी चालान प्रस्तुत कर शराब उठाने से खजाने को करीब 34 करोड़ का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि तय मात्रा से कम शराब उठाने वाले ठेकेदारों के खिलाफ भी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।