ग्रामीण लोगों की आय का साधन बनी प्राकृतिक सब्जी लिंगुड़
शिमला 20 जुलाई । मशोबरा ब्लॉक में इन दिनों लोग जहां प्राकृतिक सब्जी लिगुड का लुत्फ उठा रहे हैं वहीं पर लिंगुड़ ग्रामीण परिवेश के लोगों की अतिक्ति आय का साधन भी बन गया है । लोग सारा दिन जंगल अथवा खडडों से लिंगुड़ को चुनकर लाते हैं और गुच्छियां बनाकर बाजार में बेचते हैं । फल एवं सब्जी विक्रेता राजेन्द्र सिंह ने बताया कि लिंगुड़ की सब्जी की बहुत मांग है और गांव से लिगुड़ की सब्जी आने के उपरांत हाथों हाथ बिक जाती है ।
बता दें कि लिंगुड़ को उगाया नहीं जाता बल्कि यह बूटी विशेषकर नमी वाले क्षेत्रो, जंगलों अथवा खडडों के किनारे स्वतः की उगती है । लिगुड़ पूर्ण रूप से प्राकृतिक एवं जैविक है जोकि पौष्टिक होने के साथ साथ औषधीय गुणों से भरपूर है । पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली इस सब्जी को यहां के लोग दशकों से खाते आ रहे हैं। लिंगुड़ा जहां रसायनों से दूर प्रकृति के आगोश में स्वतः ही पैदा होता है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ0 जोशी ने बताया कि लिंगुड़ में विटामिन ए, विटामिन बी कॉप्लेक्स, पोटाशियम, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, कैरोटिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। बता दें कि हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर में कुछ साल पहले शुरू हुए लुंगड़ू अथवा लिंगुड़ के प्रारंभिक शोधों में यह बात सामने आई है। लिगुड़ मंे आयरन व मैगनिशयम प्रचुर मात्रा में पाए जाने से इसे कुपोषण से निपटने का एक अच्छा स्रोत माना गया है। लिंगुड़ की सब्जी पहाड़ों में जून से सितंबर माह तक पाई जाती है। लिंगुड़ हार्ट आदि के मरीजों के लिए भी अच्छा माना जाता है। लिंगुड़़ में मधुमेह सहित अनेक बीमारियों से लडने की शक्ति विद्यमान है।
डॉ0 जोशी ने बताया कि हिमालय की पर्वतश्रृंखलाओं में लुंगडू की असंख्य प्रजातियों का पता लगाया गया है। इन में हुए प्रारंभिक शोध से पता चला है कि लिंगुड़ औषधीय गुणों खान है । हिमाचल के अलावा उत्तराखंड में भी लिंगडा के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में युवापीढ़ी प्राकृति के आगोश में उगने वाली सब्जियों को पसंद नहीं करते हैं जबकि प्राकृतिक सब्जियों से अनेक रोगों से निजात मिलती है । 000
फोटो – लिंगुड़ की सब्जी ।
