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शिमला,हिमशिखा न्यूज़ 17/12/2021

पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा भारत-जर्मन तकनीकी सहयोग जो कि जर्मन विकास सहयोग (इसके बाद जीआईजेड) का हिस्सा है ने जलवायु परिवर्तन को लेकर शिमला में 18-19 दिसंबर 2021 को दो दिवसीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया हैजिसका टाइटल सुरक्षित  हिमालय, सुरक्षित भारत, हिमालय में जीएलओएफ.ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के कारण जलवायु परिवर्तन प्रेरित जोखिमों और कमजोरियों को कम करना है इस सम्मेलन का उद्देश्य जलवायु से संबंधित खतरों, प्राकृतिक आपदाओं के लिए लचीलापन और अनुकूली क्षमता को मजबूत बना कर स्थानीय नीतियों, रणनीतियों और योजना में जलवायु परिवर्तन के उपायों को एकीकृत करना है।सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य जलवायु जोखिम को कम करने के लिए क्षेत्र में सामुदायिक तैयारी, वित्तीय संस्थानों की भूमिका और जलवायु परिवर्तन कार्य योजना पर चर्चा कर जलवायु जोखिम पर ध्यान केंद्रित करना है इसके साथ ही अभी कई और अहम घोषणाएं  होने की भी उम्मीद है।

इस सम्मेलन का उद्घाटन 18 दिसंबर 2021 को हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री  जय राम ठाकुर तथा जर्मनी के महामहिम राजदूत  श वाल्टर जे लिंडनर एवं लद्दाख के डायरेक्टर स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ़ लद्दाख़ के  सोनम वांगचुक ने अन्य प्रख्यात स्पीकर्स के साथ मिलकर करेंगे  साझेदारी की घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है जो कि हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन, कमजोरियों, जोखिमों और खतरों के प्रभावों से सम्बंधित महत्वपूर्ण चर्चा पर दो दिवसीय सम्मेलन के लिए है। हाल ही के वर्षों में हमने हिमाचल प्रदेश के साथ.साथ उत्तराखंड जैसे अन्य आसपास के राज्यों में ग्लेशियर के पिघलने के कारण बाढ़, भूस्खलन और हिमस्खलन जैसे प्रभावों  को देखा है।

पहले दिन दो तकनीकी सत्र और दूसरे दिन तीन तकनीकी सत्रों के साथए कॉन्क्लेव लगभग 50 सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर चर्चा और बहस को एक साथ लाएगा जो कि इसके रोकथाम और कमियों के उपायों के लिए एक कार्रवाई बिंदुओं के साथ  रूपरेखा तैयार करेगाइसके लिए हमने विदेशी प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया है जो कि इस विषय पर अपने आचरण और विशेषज्ञता को साझा करेंगे। सम्मेलन में लगभग 17 विश्वविद्यालय, टेक्निकल एक्सपर्ट, आईआईटी, आईआईएससी और 15 राज्य भाग लेंगेजिसके परिणाम एक विस्तृत पेपर के रूप में दर्ज कर सभी विभागों के साथ साझा किया जाएगा।इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र ने जलवायु परिवर्तन के कारण कई अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदाओं का अनुभव किया है जिसमे हिमनदों की झीलों का फटना बादल फटना और भारी बारिश से प्रेरित भूस्खलन शामिल हैं ।पड़ोसी हिमालयी राज्यों के साथ.साथ डाउनस्ट्रीम सहित राज्य में बहु.हितधारक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिएए एवं  जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम में कमी के प्रभाव से जुड़ी चुनौतियों पर विचार.विमर्श करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन पश्चिमी हिमालय में जलवायु परिवर्तन से प्रेरित जोखिमों और कमजोरियों को कम करने पर ध्यान देने के लिए किया जा  रहा है।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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