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शिमला,हिमशिखा न्यूज़ 19/12/2021

हिमाचल प्रदेश सरकार ने जर्मन विकास सहयोग (जीआईजेड) के साथ मिलकर शिमला के आइकॉनिक होटल पीटरहॉफ में दो दिवसीय जलवायु सम्मेलन का समापन हुआ। “‘सुरक्षित हिमालय – सुरक्षित भारत'”: हिमालय में जीएलओएफ-ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के कारण जलवायु परिवर्तन प्रेरित जोखिमों और कमजोरियों को कम करना’, टाइटल के साथ सम्मेलन में जलवायु जोखिम, सामुदायिक तैयारी, वित्तीय संस्थानों की भूमिका और क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन कार्य योजना पर चर्चा की गई जिससे कि जलवायु प्रेरित जोखिमों को कम किया जा सके। दिन में तीन तकनीकी सत्र थे जिनमे मुख्य फोकस ‘उप-राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यधारा के सीसीए और डीआरआर के लिए दृष्टिकोण’ ‘जोखिम की तैयारी एवं सामुदायिक प्रतिक्रिया’ तथा ‘जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिमों से सम्बंधित वित्तीय साधन’ शामिल  थे। 

इन शामिल प्रतिनिधियों में, डॉ आशीष चतुर्वेदी, निदेशक, जलवायु परिवर्तन, जीआईजेड, इंडिया, श्री कुनाल सत्यार्थी, आईएफएस

संयुक्त सचिव, एनडीएमए, भारत सरकार, डॉ. जोनाथन डेमेंज, हेड, स्विस डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, दिल्ली,  श्री प्रमोद सक्सेना,आइएएस, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी(पर्यावरण , विज्ञानं, वित्तीय, योजना) हिमाचल प्रदेश, श्री राम सुभाग सिंह, चीफ सेक्रेटरी हिमाचल प्रदेश सरकार, सुश्री विद्या सुंदरराजन, डायरेक्टर-डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, डॉ शिराज वजीह, अध्यक्ष, गोरखपुर पर्यावरण कार्य समूह,,डॉ हरि कुमार, रीजनल कोऑर्डिनेटर जियो हैजर्ड्स इंटरनेशनल,श्री हरजीत सिंह, क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क में क्लाइमेट इम्पैक्ट्स के वरिष्ठ सलाहकार ,डॉ. शेर सिंह सामंत, निदेशक, एचएफआरआई, शिमला, हिमाचल प्रदेश, एवं श्री संजय कुमार, फाउंडर और सीईओ जियोस्पेशियल वर्ल्ड, नई दिल्ली  इस कार्यक्रम का हिस्सा रहे।सोनम वांगचुक समापन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में थे जिन्होंने दिन के पहले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता भी की और कहा,”ऐसा लगता है कि हमें समुदाय को बैकसीट और सिस्टम को प्राथमिकता के रूप में स्थापित करना हैबाकी सिस्टम खुद ही एक तरीके से सक्रिय रूप से लगा रहेगा। ”

 

डॉ आरआर रश्मि, पूर्व विशेष सचिव, एमओईएफसीसी, भारत सरकार और विशिष्ट फेलो, टेरी ने कहा “मुझे लगता है कि आज हम वास्तव में ऐसे बहुत से लोगों के बारे में सुन रहे हैं जोकि वाकई में जमीन पर भी अभ्यास कर रहे हैं, हमारे यहां वक्ताओं में निश्चित रूप से बेहद अनुभवी नीति निर्माता हैं, साथ ही  जमीन पर अभ्यास करने वाले भी हैं।”आशीष तिवारी, आईएफएस, सचिव, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, सरकार उत्तर प्रदेश ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा,”सभी तरह  के वाटरशेड की मैपिंग की जा चुकी है लेकिन इन्हे एक कदम और आगे होना चाहिएइसके अलावा हमें चेक डैम और वाटर हार्वेस्टिंग के निर्माण के लिए स्थानों का भी नक्शा बनाना चाहिए क्योंकि एक तरीके से यह जलवायु परिवर्तन को मुख्यधारा में लाने के लिए की जाने वाली महत्वपूर्ण कार्रवाइयां हैं।”इस अवसर पर,  सोनम वांगचुक ने CAFRI फैक्टशीट एवं विचार-विमर्श की रिपोर्ट, रोडमैप की घोषणा का भी विमोचन किया जिसका उद्देश्य CAFRI परियोजना के तहत जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के साथ-साथ आपदा जोखिम में कमी के संबंध में मौजूदा सरकारी संस्थानों को सक्षम बनाने के लिए किया जाएगा। इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए देश भर के एक्सपर्ट्स अपने अपने बहुमूल्य विचार और राय को साझा करने के लिए एक साथ नजर आए।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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