कवालिया में भैंस पालकों का जातर मेला सम्पन्न सुविधाओं का सृजन होने पर कवालिया बन सकता है बेहतरीन पर्यटक स्थल
मशोबरा ब्लाॅक की सुरम्य चोटी कवालिया में भैंस पालकों द्वारा मनाए जाने वाला जातर मेला वीरवार को कवालिया देवता की पारंपरिक पूजा के साथ संपन हो गया । जिसमें भैंस पालकों के अतिरिक्त ग्राम पंचायत पीरन और सतलाई के सैंकड़ों लोगों ने कवालिया देवता का आर्शिवाद प्राप्त करके भंडारे का आन्नद लिया । इस मौके पर देवता की पूजा के लिए भंडारे के रूप में भैंस के दूध की खीर बनाई जाती है बता दें कि समुद्र तल से करीब आठ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित कवालिया मंदिर आदीकाल से पूरे क्षेत्र के भैंस पालकों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। जहां पर हर वर्ष भाद्र मास के दौरान शुभ मुहुर्त में कवालिया देवता की जातर निकाली जाती है । देवता के पुजारी जबर सिंह ने बताया कि दो पंचायतों पीरन और कवालिया के भैंस पालक छः माह यहां पर अपनी भैंसों के साथ कैप के रूप में रहते हैं दशहरे के उपरांत अर्थात सर्दी बढ़ने पर अपने घरों को लौट जाते हैं । देवता की कृपा से पशुओं को किसी हिंसक जानवर अथवा महामारी के प्रकोप का भय नहीं रहता है ।
जबर सिंह ठाकुर ने बताया कि अतीत से लेकर उनके बुजुर्ग अपनी भैंसों को लेकर कवालिया में कैंप के रूप में रहते हैं । जहां पर पशंु खुले वन में विचरण करते हैं । पशुपालकों ने अपने रहने के लिए घास के कच्चे मकान बनाए गए है । सबसे अहम बात यह है कि कवलिया में भैंस पालकों द्वारा निर्मित किए गए अस्थाई शैड में दरवाजा नहीं लगाते । देवता की कृपा से किसी प्रकार की चोरी का भय नहीं होता है ग्राम पंचायत पीरन के पूर्व प्रधान अतर सिंह ठाकुर ने बताया कि कवालिया पीक प्रकृति सौंदर्य से भरपूर है । मूलभूत सुविधाओं के सृजन से यह स्थल प्रदेश में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के रूप में उभर सकता है । इनका कहना है कि सैलानी इस स्थल पर पहंूचकर प्रकृति की अनुपम छटा तथा हिमालय पर्वत की हिमाच्छादित चोटियां और मैदानी क्षेेत्रों का भरपूर आन्नद ले सकते हैं । उन्होने बताया कि यह स्थल पर्यटक स्थल चायल और कूफरी से करीब 20 किलोमीटर, दूरी पर है । सैलानी कोटी से पजौली घाटी तक वाहन द्वारा तथा उसके उपरांत करीब दो किलोेमीटर का पैदल सफर करके कवालिया चोटी पर पहूंच सकते हैं ।