हिमशिखा न्यूज़,धर्मशाला
देश के सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मैक्लोडगंज में बस स्टैंड परिसर में होटल-कम-रेस्तरां को तोड़ने के निर्देश को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी की तीन सदस्यीय बेंच ने हिमाचल प्रदेश बस स्टैंड प्रबंधन और विकास प्राधिकरण द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।साथ ही निर्देश दिया कि होटल-कम रेस्तरां को तोड़ने की प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर शुरू की जाए और एक माह में कार्रवाई पूरी की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश में कहा कि इस भूमि को अन्य गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इस भूमि को केवल कार/बस पार्किंग के लिए ही इस्तेमाल करना होगा। इस मामले में एनजीटी ने प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह 15 लाख रुपए मुआवजा भी दे।
साथ ही प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ जांच का आदेश भी दिया था। प्राधिकरण द्वारा दायर अपील को निपटाने के फैसले में बेंच ने पर्यावरण नियम कानून की अवधारणा और अदालतों की पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने में भूमिका पर भी चर्चा की। होटल का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर किया था।आरोप है कि कांग्रेस सरकार निर्माण करने वाली कंपनी पर पूरी तरह से मेहरबान रही। सरकार को राजस्व का भी नुकसान हुआ। एनजीटी के फैसले के खिलाफ पूर्व सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश को जांच का जिम्मा दिया।
एनजीटी ने निर्माण को गैरकानूनी करार दिया था…
कुछ वर्ष पूर्व बस स्टैंड में होटल बनाने का मामला एनजीटी तक पहुंचा। एनजीटी ने इसके निर्माण पर न केवल रोक लगाई थी बल्कि गैरकानूनी निर्माण को गिराने के आदेश दिए थे। कमेटी भी गठित की थी। कमेटी ने सिफारिशों में कई अफसरों को दोषी माना था। लेकिन पूर्व कांग्रेस सरकार ने न तो अधिकारियों पर कार्रवाई की और न ही निर्माण को गिराया।