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स्वास्थ्य,हिमशिखा न्यूज़ 26/02/2023

ज्यादातर हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट बाथरूम में क्यों होते हैं?
दिल का दौरा पड़ने का कोई निश्चित समय नहीं होता है। लेकिन ज्यादातर हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट सुबह बाथरूम में होते हैं।

बाथरूम में हार्ट अटैक आने के कई कारण होते हैं, अगर आप इन कारणों के बारे में जान लें तो आप खुद को और अपने परिवार को इससे बचा सकते हैं।


आइए अब हम आपको बताते हैं कि सुबह बाथरूम में हार्ट अटैक क्यों आता है?

तो सबसे पहले समझें कि हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट क्या है?

विज्ञान की दृष्टि से हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का सीधा संबंध हमारे रक्त से है। खून के जरिए हमारे शरीर में ऑक्सीजन (OXYGEN) और जरूरी पोषक तत्व पहुंचते हैं।

लेकिन जब आपके हृदय को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली धमनियों में प्लाक का निर्माण होता है, तो समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जिससे दिल की धड़कन असंतुलित हो जाती है। इससे हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट होता है।

जब हम सुबह शौच के लिए जाते हैं तो कई बार पेट को पूरी तरह से साफ करने का दबाव बनाते हैं। भारतीय शौचालय का उपयोग करते समय लोग अधिक दबाव डालते हैं। यह दबाव हमारे हृदय की धमनियों पर अधिक दबाव बनाता है। इससे हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।

आपने हमेशा देखा होगा कि बाथरूम का तापमान हमारे घर के दूसरे कमरों से ज्यादा ठंडा होता है। इस स्थिति में शरीर के तापमान को संतुलित करने और रक्त प्रवाह को बनाए रखने के लिए अधिक काम करना पड़ता है। यह हार्ट अटैक का एक कारण भी हो सकता है।

हमारा रक्तचाप सुबह के समय थोड़ा अधिक होता है। इस स्थिति में जब हम नहाने के लिए सीधे सिर पर ज्यादा ठंडा या गर्म पानी डालते हैं तो इससे ब्लड प्रेशर पर असर पड़ता है। यह दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाता है।

यदि आप भारतीय शौचालय का उपयोग करते हैं, तो एक ही स्थिति में अधिक समय तक न बैठें। इस तरह आप हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट से बच सकते हैं।

बाथरूम में नहाते समय पानी के तापमान का ध्यान रखते हुए सबसे पहले पैरों के तलवों को भिगोएं। इसके बाद सिर पर हल्का पानी डालें। यह तरीका आपको बचा सकता है। ज्यादा जोर न लगाएं और पेट साफ करने में जल्दबाजी न करें।

अगर आप नहाते वक्त बाथ टब या पानी में ज्यादा देर तक रहते हैं तो इसका असर आपकी धमनियों पर भी पड़ता है। इस स्थिति में बाथटब में ज्यादा देर तक न बैठें।

नहाने के दौरान कार्डिक अरेस्ट होने या हार्ट अटैक आने के कई मामले सामने आते हैं। लेकिन एेसा क्या कारण है कि बाथरूम में दिल यूं अचानक व्यक्ति की जान जोखिम में डाल देता है। ज्यादातर मामले ऐसे होते हैं जिसमें व्यक्ति को नहाते समय या बाथरूम में अटैक आता है। आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आखिर ज्यादातर कार्डियक अरेस्ट बाथरूम में ही क्यों आते हैं ताकि आप भी सावधान रह सकें।

टॉयलेट प्रेशर
टॉयलेट सीट पर बैठने या इंडियन स्टाइल के टॉयलेट का इस्तेमाल करने के दौरान ज्यादा प्रेशर लगाना या फिर ज्यादा देर तक बैठे रहना रक्त परिसंचरण को प्रभावित करता है । इससे दिल की धमनियों पर प्रभाव पड़ता है । जो हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट का कारण बनता है


सिर पर ठंडा पानी
डॉक्टर सलाह देते है कि पहले तलवों को पानी में डालें और फिर धीरे – धीरे सिर को गिला करें । जब सीधे सिर पर ठंड़ा पानी पड़ता है तो इससे रक्तचाप पर भी सीधा असर पड़ता है ।

ब्लड प्रेशर
नहाने के वक्त भी हमारे शरीर में रक्तचाप प्रभावित हो सकता है। इसके पीछे कई वजह हो सकती है जैसे अचानक गर्म पानी या ठंडा पानी के नीचे जाना, बॉडी को साफ करने में ज्यादा प्रेशर लगाना, दोनों पैरों के सहारे ज्यादा देर तक बैठे रहना, जल्दी बाजी मे नहाना, बाथटब में ज्यादा बैठे रहना, इन चीजों से हार्ट रेट पर असर पड़ता है जो ब्लड फ्लो को प्रभावित करते हुए धमनियों पर प्रेशर बढ़ा देता है। जिससे हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट की परेशानी बनती है।

ऑफिस में अक्सर देखा गया है कि गर्मियों के मौसम में जब एसी बहुत कम तापमान पर चल रही होती है तो बहुत सी महिलाएं ठंड से परेशान होकर स्टोल वगैरह पास रखती है। लेकिन कभी आपने जानने की कोशिश की है कि ऐसा क्यों होता है। हाल ही में हुए एक शोध में इस बारे में रोचक तथ्यों के बारें पता चला है। तो आइए जानते है क्या कहता है शोध।

गर्मी के महीने जब भी ऑफिस में बहुत कम तापमान में एसी चलती है तो सबसे ज्यादा ठंड महिलाओं को लगती है। इस बारे में शोध में यह बात सामने आई है कि महिलाएं ज्यादा तापमान में अच्छा परफार्म करती हैं। जबकि पुरुष कम तापमान में बेहतर परफार्मेंस देते हैं।

शोध में करीब 500 लोगों को शामिल किया गया था, जिसमें 24 ग्रुप बनाए गए थे। इन ग्रुप से 61 से 91 डिग्री फारेनहाइट पर कई सवाल किए गए। अंत में यहीं परिणाम निकला कि महिलाओं नें ज्यादा तापमान पर बढ़िया परफार्म किया। शोध से यह बात निकल कर आई है कि ठंड से महिलाओं की प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ता है।

महिलाओं को ज्यादा ठंड लगने का कारण उनके शरीर की संरचना होती है। महिलाओं में मेटाबॉलिक रेट कम होता है और उनका शरीर कम हीट रिलीज करता है इसलिए उनके शरीर में गर्माहट कम होती है। आश्चर्य की बात यह है कि महिलाओं के इतना ज्यादा काम करने के बावजूद ऑफिस के एसी का तापमान पुरुषों के अनुसार सेट होता है।

महिलाओं के लिए उचित तापमान 77 डिग्री फॉरेनहाइट यानी 25 डिग्री सेल्सियस तापमान होता है। वहीं पुरुषों के लिए 72 डिग्री फॉरेनहाइट यानी कि 22 डिग्री सेल्सियस सही होता है।

1.कार्डियक अरेस्ट हो या फिर हृदयाघात (हार्ट अटैक) , दोनों का संबंध हमारे रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) से होता है।
2.रक्त रंचार (ब्लड सर्कुलेशन) का सीधा असर हमारे हृदय पर होता है।
3. रक्त का संचार (ब्लड सर्कुलेशन) हृदय से ही (हार्ट) नियंत्रित होता है, जिससे हमारे शरीर की गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित होती रहे। और शरीर का प्रत्येक अंग सुचारू रुप से कार्य करते हैं।

4. दरअसल, जब हम बाथरूम की टॉयलेट सीट पर बैठ कर जब ज्यादा दबाव डालते हैं तो उसका असर सीधा रक्त रंचार हमारे (ब्लड सर्कुलेशन) पर पड़ता है। इस दबाव से हृदय की धमनियों पर दबाव बढ़ता है, जो हार्ट अटैक या फिर कार्डियक अरेस्ट की वजह बन जाता है।


5.बाथरूम का तापमान हमारे घर के अन्य कमरों के तुलना में अधिक ठंडा रहता है. यहां पानी का प्रवाह (फ्लो) बार-बार होता रहता है। ऐसी स्थिति में शरीर के तापमान को संतुलित करने और रक्त के संचार को बनाए रखने के लिए हमारे हृदय को अधिक श्रम करनी पड़ती है।हृदयघात ( हार्ट अटैक) होने का यह एक बड़ा कारण होता है।
6. बाथरुम में कोई कार्य नहीं होने के कारण मस्तिष्क ज्यादा सोचना शुरू कर देता है। परिणामस्वरूप कभी-कभी तनाव अपने चरम पर होता है और हृदयघात होता है।

हृदयघात ( हार्ट अटैक) से बचने के उपाय –
1. . कई बार नहाने के दौरान हार्ट अटैक आ जाता है। नहाने को लेकर डॉक्टर सलाह देते हैं कि बाथरूम जाते ही पहले अपने तलबों पर हल्का गुनगुना पानी धीरे-धीरे डालें, इसके बाद धीरे-धीरे शॉवर लें।

2. यदि आपने ऐसा नहीं किया और सीधा सिर पर ठंडा पानी डाला तो इसका नकारात्मक असर रक्त संचार पर पड़ता है। जिन्हें हृदय रोग हो, उन्हें इससे बचना चाहिए।
3. सीधे सिर पर पानी डालने से कई बार व्यक्ति की दिल की गति, धड़कन एकदम से रुक जाती है। अगर आप अपने शरीर पर अचानक से गर्म या अधिक ठंडा पानी डालते हैं, तो इससे रक्त रंचार (ब्लड सर्कुलेशन) पर दबाव पड़ता है। अतः ऐसा करनें से बचें।
4. किंतु यदि आप पहले पैरों पर धीरे-धीरे पानी डालते हैं, तो इससे रक्त रंचार (ब्लड सर्कुलेशन) पर सीधा असर नहीं पड़ता। वास्तव में अचानक से ठंडा पानी सिर में डालने से मस्तिष्क एकदम से सन्न रह जाता है और वो हृदय को संदेश नहीं भेज पाता। परिणामस्वरूप हृदयाघात आता है। इसलिए बाथरूम में इन बातों को ख्याल रखना चाहिए।

देर तक बाथरूम में बैठना, शरीर को साफ करने में ज्यादा दबाव लगाना, दोनों पैरों के सहारे ज्यादा देर तक बैठे रहना, जल्दबाजी में नहाना, बाथटब में ज्यादा बैठे रहना अनुचित है, क्योंकि ऐसा करने से धमनियों पर दबाव पड़ता है। इन सब का हार्ट पर असर पड़ता है। यह रक्त के प्रवाह को प्रभावित करते हुए धमनियों पर दबाव बढ़ा देता है। इससे हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट की परेशानी होती है।
सबसे ज़्यादा हार्ट अटैक देर रात या भोर में आते है।ऐसा इसलिए होता है कि जब आप सो रहे होते है तो मस्तिष्क से मिलने वाले सिग्नल नींद में बहुत कम हो जाते है जिसकी वजह से दिल की माष्पेशियो की धमनिया पर्याप्त मात्रा में खून दिल तक नहीं पहुंचा पाती हैं और फिर दिल पूरे शरीर में खून नहीं पहुंचा पाता है।

बाथरूम में भी हार्ट अटैक की ज़्यादा घटनाओं के पीछे ये कारण है आमतौर पर बाथरूम का तापमान सामान्य कमरों की बजाय थोड़ा ज़्यादा ठंडा होता है।दिल के मरीज यदि किसी भी प्रकार से थोड़ी भी ज़्यादा ठंड की गिरफ्त में आ जाए तो उनके दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है क्युकी ठंड की वजह से बाकी शरीर की धमनिया बिल्कुल सिकुड़ जाती है और दिल को खून पहुंचने के लिए ज्यादा बार धड़कना पड़ता हैं जो कि ऐसे मरीजों के लिए बहुत घातक है।इसीलिए आप ने सुना होगा की सर्दी के मौसम में बहुत से दिल के मरीज गुजर जाते है।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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