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हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतर्विषयक अध्ययन विभाग ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया। ज्ञात रहे कि राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस हर साल संविधान के 73वें संशोधन के लागू होने की याद में हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाता है। इस मौके पर विभाग के छात्रों व शोधार्थियों ने ‘पंचायती राज संस्थाएं और सतत विकास के लक्ष्यों को स्थानीयकरणः चुनौतियां व अवसर’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में विभाग के एम0बी0ए0 ग्रामीण विकास के छात्र, शोधार्थियों व प्राध्यपकों के भाग लिया।
संगोष्ठी की शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलगीत से किया गया और इस मौके पर विभाग के छात्रों ने सम्बंधित विषय पर अपने विचार रखे जिसमें एम0बी0ए0 ग्रामीण अंतिम समेस्टर की छात्रा मलिका राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के पृष्टभूमि के बारे में, द्वितीय समेस्टर के अतुल ने सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में पचायती राज संस्थाओं की भुमिका के बारे में तथा द्वितीय समेस्टर की ही आंचल ने सतत विकास के लक्ष्य और सम्बंधित डाटा प्रंबधन पर अपने विचार रखे।
इस मौके पर मुख्य रूप से पंचायती राज संस्थाएं और सतत विकास के लक्ष्यों को स्थानीयकरणः चुनौतियां व अवसर विषय पर विस्तार से विभाग के संकाय सदस्य डॉ0 बलदेव सिंह नेगी ने अपना ब्याख्यान दिया। उन्होनें पंचायती राज के एैतिहासिक पृष्टभूमि और 73वें संविधानिक संशोधन पर प्रकाश डालने के साथ-साथ पंचायती राज संस्थाओं से अन्य संबंधित प्रावधानों जिस में संविधान के भाग नौ, संविधान की सातवीं व ग्यारवीं अनुसूची पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि जो ग्यारवीं अनुसूची में जो 29 विषय जिन पर पंचायती राज संस्थाएं अधिकृत हैं योजना बनाने और धरातर पर लागु करने के लिए यहीं पर इन संस्थाओं की जिम्मेबारी बन जाती है कि जिन सतत विकास के लक्ष्यों को भौगोलिक सतर पर बनाया गया है उन्हे स्थानीय ग्रामीण स्तर पर अच्छे तरीके से लागू किया जाए। उन्होने कहा कि विकास के इन बैश्विक को हासिल करने के लिए पंचायती राज सस्थाओं की महत्वपूर्ण है इसी लिए सतत विकास के लक्ष्यों को ग्रामीण स्तर पर हासिल करने के लिए इन 17 लक्ष्यों को 9 विषय-वस्तु यानि थीमस में समाहित किया गया है। इस मौके पर तनुज शर्मा सहित अन्य फैकल्टी सदस्य भी मौजूद रहे।
संगोष्ठी के अंत में कई छात्रों ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की जिसमें बृजेश, साक्षी, आंचल, निवेदिता, विक्रांत, नवीन, अमित, अजुन, युवराज, हिमानी, हर्षित, अरूण निशांत, नीरज, कंचन, देवन, अजय, पूजा, शीतल, सुहानी, राघव आदि ने चर्चा में भाग लिया। ग्रामीण विकास जिससे देश की 65 प्रतिशत से भी ज्यादा आवादी जुड़ी है और कई प्रकार की योजनाएं सरकार लागू करती है अपने आप में एक विस्तृत विषय है और छात्रों मांग की कि ग्रामीण विकास के महत्वपूण विषय को स्नातक स्तर की डीग्री पाठ्यक्रम में एक अलग से विषय को शुरू किया जाना चाहिए।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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