हिमाचल में पाई जाने वाली सब्जी सबसे पहले है लिंगङ, कचनार, गुच्छी, लसुङे, फेडु, मीठा करेले ये सब्जियां है और भी कई सब्जीयां है
1 लिंगङ या लुंगडू की बात करते हैं यह नाम हिमाचल में एक जाना पहचाना नाम है। गर्मियों के मौसम में यहां के पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली इस सब्जी को यहां के लोग दशकों से खाते आ रहे हैं। लुंगडू जहां रसायनों से दूर प्रकृति के आगोश में पैदा होता है। वहीं सब्जी के रूप में यह बेहद स्वादिष्ट भी होता है। लुंगड़ू में विटामिन ए, विटामिन बी कॉप्लेक्स, पोटाशियम, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, कैरोटिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। लुंगडू में मैग्नीशियम, कैल्शियम, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन और जिंक के कारण इसे कुपोषण से निपटने के लिए भी एक अच्छा स्रोत माना गया है। यह पहाड़ा में जून से सितंबर माह तक होता है, लुंगडू चर्म व मधुमेह रोग से काफी बचाव करता है। इससे त्वचा अच्छी रहती है। लुंगड़ू हार्ट आदि के मरीजों के लिए भी अच्छा माना जाता है। सबसे बड़ी बात है कि लुंगडू पूरी तरह से प्राकृतिक है। यह हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पत्तेदार पौधा है, जिसका उपयोग सब्जी व आचार में हो सकता है। यह हिमाचल के अलावा उत्तराखंड में भी लिंगडा के नाम से जाना जाता है।
2 कचनार की जो कालिया होती हैं, उनका साग के रूप में सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है. पेचिश का करे इलाज दस्त या फिर पेचिश की परेशानी होने पर कचनार का सेवन करें। इसका स्वाद कसैला और ठंडा होता है, जो दस्त की परेशानी को कम करता है। यदि दस्त में ब्लड आ रहा है, तो इसके सेवन से आपकी परेशानी दूर हो सकती है।
3 गुच्छी स्वाद में बेजोड़, विटामिन और औषधीय गुणों से भरपूर है. प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में गुच्छी के बारे में जानकारी दी गई है. जानकारी के अनुसार, गुच्छी एक पहाड़ी सब्जी है जो हिमाचल प्रदेश के मंडी, चंबा, कुल्लू और मनाली में पाई जाती है. इसके अलावा, कश्मीर और उत्तराखंड में भी कुछ जगहों पर गुच्छी मिलती है.
4 लसुङे ब्लड शुगर भी कंट्रोल हो सकता है. – स्किन डिजीज के लिए यह फल वरदान है. यह दाद, खाज, खुजली जैसी स्किन समस्याओं से काफी हद तक राहत दिला सकता है. – लसोड़ा फल प्रोटीन, कार्ब्स, फाइबर, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन का अच्छा स्रोत है।
5 फेडु के पेड़ों में हर समय छोटे-छोटे फल लगे होते हैं। अच्छी तरह पकने पर इसका स्वाद मीठा हो जाता है। पक्षियों और जंगली जानवरों को यह काफी पसंद आता है। गर्मियों में लोग इसकी पत्तियों को जानवरों के चारे के लिए उपयोग करते हैं।
यह बात अलग है कि पहाड़ में पलायन की मार से गांवों और खेत खलिहानों में अब फेडू के पेड़ कम होते जा रहे हैं। फेडू केवल फल ही नही बल्कि औषधि का काम भी करता है। गांव की स्थानीय दिनचर्या में फेडू के अनेक चिकित्सकीय प्रयोग प्रचलित हैं। जैसे कि इसकी पत्तियों से निकलने वाले दूध (बेडू चोप) को कांटा चुभने वाली जगह पर लगाने से कांटा तुरंत निकल जाता है। फेडू एक हाजमेदार ऋतुफल है, जिससे कब्ज और गैस जैसी बीमारियां भी दूर होती है।
6 मीठा करेला ऐसी ही एक पहाड़ी सब्जी है रामकरेला जिसे पहाड़ी करेला, रामकरेली और मीठा करेला भी बोलते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम सिलेंथरा पेडाटा स्चार्ड है. पहाड़ी रामकरेला में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज भी होती हैं.