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यूनेस्को और रॉयल एनफील्ड ने हिमाचल प्रदेश में द ग्रेट हिमालयन एक्सप्लोरेशन के चौथे संस्करण की घोषणा की

हिमालय की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को दर्ज करने और संजोने का एक यादगार सफर

ठियोग,( शिमला) 27, अगस्त, 2025, यूनेस्को और रॉयल एनफील्ड द ने ग्रेट हिमालयन एक्सप्लोरेशन के चौथे संस्करण की घोषणा की है। यह अनूठा मोटरसाइक्लिंग अभियान भारत के हिमालयी क्षेत्र की इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज (आईसीएच)को दर्ज करने और संरक्षित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।इस साल यह यात्रा हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत पहाड़ी इलाकों में की जाएगी जहां राइडर्स 12 अनूठी आईसीएच परंपराओं को नज़दीक से समझने और संरक्षित करने के लिए गहन दस्तावेज़ीकरण करेंगे।

इस यात्रा की औपचारिक शुरुआत 27अगस्त 2025 को हिमालयन हब ठियोग शिमला से हुई। इसे उप मंडल मजिस्ट्रेट शशांक गुप्ता और उप पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अभियान में शामिल 20 चुनिंदा राइडर-रिसर्चर्स 9 अक्टूबर 2025 तक राज्य के विभिन्न इलाकों में सफ़र करेंगे। चार समूहों में बंटे ये राइडर्स स्थानीय समुदायों से जुड़कर पीढ़ियों से चली आ रही जीवंत परंपराओं का प्रत्यक्ष अनुभव और दस्तावेजीकरण करेंगे।द ग्रेट हिमालयन एक्सप्लोरेशन को नेशनल ज्योग्राफिक द्वारा एक चार भाग वाली डॉक्यूसीरीज़ के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा जो दर्शकों को राइडर्स की इस अद्वितीय यात्रा और हिमालयी क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर की गहराई से झलक दिखाएगी। यह सीरीज़ जल्द ही जियोहॉटस्टार पर प्रसारित होगी।

इस यात्रा के दौरान 20 राइडर-रिसर्चर्स चार अलग अलग मार्गों पर सफ़र करते हुए स्थानीय समुदायों में समय बिताएंगे और वीडियो व गहन अवलोकन के ज़रिये जीवंत परंपराओं का दस्तावेजीकरण करेंगे।दस्तावेजीकरण के लिए चुनी गई परंपराओं में कई विशिष्ट सांस्कृतिक और कलात्मक पहलू शामिल हैं जो हिमाचल की अनूठी पहचान को उजागर करते हैं।हिमाचल की सांस्कृतिक परंपराएं,हिमाचली धाम पारंपरिक शाकाहारी भोज जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी बोटी तैयार करते हैं। शादियों और उत्सवों में यह भोज पत्तों की थालियों में एक निश्चित क्रम में परोसा जाता है।चंबा थाल चंबा में तैयार की जाने वाली सजावटी पीतल या धातु की थाली जिसमें पारंपरिक डिज़ाइन होते हैं और जिसे धार्मिक आयोजनों और समारोहों में उपयोग किया जाता है।कांगड़ा चित्रकला 18वीं-19वीं शताब्दी की प्रसिद्ध लघु चित्रकला शैली जो अपने बारीक विवरण और प्राकृतिक रंगों व सोने के प्रयोग के लिए जानी जाती है।काठ कुनी वास्तुकला हिमाचल की पारंपरिक,भूकंपरोधी निर्माण शैली जिसमें बिना चूने के देवदार की लकड़ी और पत्थर की बीम को आपस में जोड़ा जाता है।स्पीति आभूषण स्पीति की महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले चांदी और फ़िरोज़ा (टर्क्वॉइज़)के गहने जिनमें तिब्बती प्रभाव और प्रतीकात्मक डिज़ाइन झलकते हैं।हिमाचली टोपी स्थानीय समुदाय द्वारा पहनी जाने वाली विशिष्ट ऊनी टोपी जिसमें रंगीन पट्टी होती है और जो क्षेत्रीय पहचान का प्रतीक है।कुल्लू दशहरा एक सप्ताह तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय उत्सव जिसमें 300 से अधिक ग्रामीण देवी.देवता भगवान रघुनाथ के सम्मान में एकत्र होते हैं और भव्य शोभायात्राओं व सामूहिक नृत्यों का आयोजन होता है।

साल 2022 में पूर्वी हिमालय से और 2024 में पश्चिमी हिमालय से शुरू हुआ ग्रेट हिमालयन एक्सप्लोरेशन रॉयल एनफील्ड सोशल मिशन और यूनेस्को के बीच एक अनूठी बहुवर्षीय साझेदारी है जिसका उद्देश्य 200 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत प्रथाओं को दर्ज करना और संरक्षित करना है। चुनिंदा राइडर-रिसर्चर्स की मदद से जो हिमालय के दूरस्थ इलाकों में जाकर स्थानीय समुदायों और उनकी जीवनशैली से जुड़ते हैं अब तक पूर्वी हिमालय के आठ राज्यों में 60 से अधिक प्रथाओं और लद्दाख में 12 प्रथाओं का दस्तावेज़ीकरण 24अभियानों के माध्यम से किया जा चुका है।यह अनूठा प्रोजेक्ट राइडर-रिसर्चर्स को हिमालय की जीवंत विरासत को सुरक्षित रखने में अहम योगदान देने का अवसर देता है।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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