शिमला,हिमशिखा न्यूज़
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार से विरोधाभासी बयान देने पर लगाई रोक का फैसला वापस लेने की मांग की है। वीरवार को शिमला के कालीबाड़ी मंदिर स्थित हॉल में प्रेस वार्ता में संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि अगर फैसले को वापस नहीं लिया गया तो उन्हें मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। वीरवार को प्रेस वार्ता से पहले संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर से उनके आवास पर मुलाकात की। मंत्री को बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारी संघ से सौतेले व्यवहार कर रहे हैं। बयान देने के फैसले पर रोक लगाने के आदेश से सरकार की छवि खराब हुई। संघ ने दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को प्री बोर्ड परीक्षाओं और फर्स्ट और टर्म परीक्षाओं के अंकों के आधार पर प्रमोट करने की मांग भी की। चौहान ने कहा कि सरकार से टकराव करना हमारा मकसद नहीं है। किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ भी हम बयान नहीं दे रहे हैं। उनका संघ 1957 में गठित हुआ है।
छात्र हित के मुद्दों को संघ लगातार उठाता रहा है। संविधान के आर्टिकल 19 में अभिव्यक्ति का अधिकार दिया गया है। इसके चलते ही संघ शिक्षा विरोधी फैसलों का विरोध करता रहा है और आगे भी जारी रखेगा। कहा कि उनके सहित संघ के तीन पदाधिकारियों को बदले की भावना से नोटिस दिए गए हैं।
संगठन का मुखिया होने के नाते सिर्फ उनके खिलाफ ही कार्रवाई होनी चाहिए। कहा कि जब हमने दसवीं की परीक्षाएं न करवाने के फैसले का विरोध किया था तब हालात ठीक थे। अब कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। ऐसे में हम सरकार के इस फैसले का स्थिति के अनुसार स्वागत करते हैं। कहा कि संघ की ओर से जल्द जरूरतमंद विद्यार्थियों को मोबाइल फोन दिए जाएंगे। हर घर पाठशाला कार्यक्रम को भी दोतरफा किया जाना चाहिए। अभी रिकार्डिंग के माध्यम से ही विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है।