शिमला,हिमशिखा न्यूज़
सन्त निरंकारी मण्डल के महासचिव ब्रिगेडियर (से.नि.) पी.एस.चीमा जी ब्रह्मलीन
सन्त निरंकारी मण्डल के महासचिव तथा मिशन के समर्पित भक्त पूज्य ब्रिगेडियर (से.नि.)
पी.एस.चीमा जी आज 12 मई को प्रातः 10.15 बजे दिल्ली में अपने इस नश्वर शरीर का त्यागकर निराकार प्रभु में विलिन
हो गये। उनकी उम्र 72 साल थी।
शिमला बैम्लाई स्थित संत निरंकारी मंडल की जोनल ईचार्ज बहन रजवंत जी ने बताया कि आदरणीय चीमा जी सेना
केें एक बहुत ही काबिल अधिकारी तथा मिशन के एक अन्नय भक्त रहे, जिन्होंने अपने अनुशासन, समर्पण और साधु गुणों से
जीवन के हर पहलू को बखूबी निभाया।
उल्लेखनीय है कि आदरणीय पी एस चीमा जी सांसारिक रिश्ते में जोनल इंचार्ज राजवंत कौर के भांजे भी थे।
पूज्य चीमा जी का जन्म 14 मार्च, 1949 को आध्यात्मिकता के रंग में रंगे हुए परिवार में हुआ। बचपन से ही आपको
भक्ति भाव से परिपूर्ण वातावरण मिला। 1956 में केवल 7 साल के आयु में ही आपको सत्गुरू बाबा अवतार सिंह जी के
समय ब्रह्मज्ञान प्राप्त हुआ। आप बहुत ही मेहनती, इमानदार एवं बुद्धिमान व्यक्तित्व के धनी थे। एक निष्ठावान गुरसिख होने
के साथ साथ आप खेल और शिक्षा में प्रवीण थे। आगे जाकर भारतीय स्थल सेना में आपने एक काबील आर्मी अफसर के रूप
में अपना किरदार निभाया। अपने सहयोगीयों के लिए वह अच्छाई, सच्चाई और विश्वास के प्रेरणा स्रोत बने रहे। भारत के
भूतपूर्व राष्ट्रपती डाॅ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के करकमलों द्वारा आपको डीआरडीओ टेक्नाॅलाॅजी एवाॅर्ड प्रदान किया गया था।
वर्ष 2006 में सत्गुरू बाबा हरदेव सिंह जी ने पूज्य चीमा जी को सन्त निरंकारी मण्डल की वर्किंग कमेटी के सदस्य
के रूप में मनोनित किया जबकि अप्रैल 2007 में आपको मण्डल की कार्यकारिणी समिति में शामिल करते हुए समाज
कल्याण, स्वास्थ्य एवं मेडिकल विभाग की जिम्मेदारीयाँ सौंपी गई। सुरक्षा सलाहकार समिति पर भी आप निरंतर अपनी
सेवायें निभाते रहे। मई, 2007 में आपको ज्ञान प्रचारक के रूप में सेवायें प्रदान की गई। 2010 में बनाये गए सन्त निरंकारी
चैरिटेबल फाउंडेशन के आप संस्थापक सदस्य थे। वर्तमान सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने आपको वर्ष 2018 से मंडल
के महासचिव के रूप में सेवायें प्रदान की थी जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य, आईटी, सुरक्षा, स्टुडिओ और दूरसंचार विभागों का
कार्यभार सम्भाला था। मिशन के निर्माणाधीन निरंकारी हेल्थ सिटी प्रोजेक्ट में आप अहम भूमिका निभा रहे थे।
उनके ब्रह्मलीन होने से सन्त निरंकारी मिशन को बहुत बड़ी क्षति पहुँची है। उनका मूल्यवान जीवन आने वाली
पीढियों के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।