शिमला,हिमशिखा न्यूज़
स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवादी, चिपको आंदोलन के प्रणेता एवं वृक्षमित्र नाम से प्रसिद्ध पद्म विभूषण आदरणीय श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन बेहद दुखद है। उनका निधन जल, जंगल, जमीन से सरोकार रखने वाले एक महान व्यक्तित्व का अवसान है। सुंदर लाल बहुगुणा जी स्वयं में देश और दुनिया के लिए एक अकादमी थे। दुनिया भर में पर्यावरण के मुद्दों की चर्चा उनके योगदान को स्मरण किए बिना पूर्ण नहीं हो सकती है। यह एक संयोग ही था कि मैं मंडी से दिल्ली जा रहा था। जिस बस की सीट पर मैं बैठा उसी सीट पर बहुगुणा जी भी थे। उन्हे देखते ही पहचान गया था। फिर दिल्ली तक का सफ़र और कई मुद्दों पर चर्चा हुई। उनकी व्यक्तिगत जिंदगी से लेकर परिवार तक पर्यावरण के मुद्दे इत्यादि काफी गहन वार्ताओं का दौर चला। उसके बाद उसी साल मेरी एडमिशन एमएससी में गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर कैंपस में हुई। वहां से हमने टिहरी डेम का टूर किया और बहुगुणा की आंदोलन वाली झोंपड़ी भी देखी थी।बहुगुणा जी के निधन से जहां देश ने एक महान पर्यावरणविद् को खोया है ।उनका स्नेह, मार्गदर्शन सदैव मेरा पथ प्रदर्शित करता रहा।महान पर्यावरणविद् श्री सुंदर लाल बहुगुणा के स्वर्ग गामी होने पर डॉ चंद्रकांत शर्मा ने शोक व्यक्त किया और उनके साथ बिताया समय याद किया।प्रभु से पुण्य आत्मा की शांति एवं परिजनों को धैर्य प्रदान करने हेतु प्रार्थना करता हूं।