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शिमला,हिमशिखा न्यूज़ ​

 हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में प्रश्नकाल के दौरान ज्वालामुखी से विधायक रमेश चंद धवाला की धमक एक बार फिर सदन में देखने को मिली।धवाला ने कांगड़ा जिले में स्टोन क्रशर  मालिकों के कई इकाईयों के बंद होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से कहा कि स्टोन क्रशर को लेकर बनाए गए सख़्त नियमों के चलते स्टोन क्रशर मालिक हड़ताल पर चले गये हैं। क्योंकि उन्हें पत्थर उठाने के लिए जेसीबी चलाने की अनुमति नहीं है। वहीं, धवाला ने एक बार फिर सदन में नौकरशाही के हावी होने का राग अलापा। उन्होंने कहा कि नौकरशाही यदि जनप्रतिनिधियों पर हावी होगी तो क्या होगा?

खनन के लिए मनमानी की इजाजत नहीं- बिक्रम ठाकुर
सदन में नौकरशारी पर बरसते हुए कहा कि ओवरलोडिंग के लिए मेरे बेटे तक का चालान कर दिया। इस पर विपक्ष ने भी खूब तालियां बजाई। अगर स्टोन क्रशर मालिकों को सरकार ने राहत नहीं दी तो वे सड़कों पर आ जाएंगे। वे पहाड़ तोड़ने वाले संघर्षशील हैं। इस पर उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर ने सदन को बताया कि नूरपुर और इंदौरा के 30 स्टोन क्रशर मालिकों ने क्रशर को बंद कर हड़ताल पर जाने की बात कही है। क्रशर को लेकर सभी के लिए एक जैसे मापदंड है। बरसात के मौसम में नदी नालों के खनन पर प्रतिबंध रहता है। अगर कोर्ट ने कुछ बोला है तो विभाग अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। 221 पट्टों को खनन के लिए नीलाम किया गया है। 221 में से 13 ने ही औपचारिकताओं को पूरा किया है। जिसके बाद वे काम कर रहे हैं। स्टोन क्रशर को लेकर कई पेचीदगियां हैं। ऐसे में औपचारिकताओं को पूरा करना जरूरी है। सरकार खनन उद्योगों के साथ है, लेकिन अवैध खनन और मनमानी की इजाज़त नही दी जा सकती है। 

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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