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शिमला,हिमशिखा न्यूज़ 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन की शुरुआत फ‍िर हंगामे के साथ हुई। कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्‍खू ने चर्चा का प्रस्‍ताव रखा, जिस पर हंगामा शुरू हो गया। सुक्‍खू प्‍वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत निलंबित विधायकों को बहाल करने के लिए चर्चा का प्रस्‍ताव लाए। इस पर विधानसभा उपाध्‍यक्ष हंसराज सदन में बोलने के लिए उठे तो उन्‍हें विक्रमादित्‍य सिंह ने रोक दिया व दोनों के बीच सदन में काफी गहमागहमी हो गई। इसके बाद कांग्रेस के सभी विधायक सदन से बाहर निकल गए। कुछ देर बाद कांग्रेस विधायक सदन में वापस आ गए। इस दौरान मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में अपनी बात रखी। सीएम ने कांग्रेस के शिमला ग्रामीण से विधायक विक्रमादित्‍य के व्‍यवहार को अनुचित बताया। सीएम ने कहा कांग्रेस विधायकों ने राज्‍यपाल के साथ जो बदसलूकी की है, उसे माफ नहीं किया जा सकता है।

इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंगलवार को विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश किया। अनुपूरक बजट कुल 9125 करोड़ रुपये का है। गैर योजनाओं के लिए 8448 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। कोरोना काल के दौरान परिवहन निगम, पर्यटन विकास निगम सहित अन्य विभागों में कितना पैसा खर्च किया और किस विभाग को कितना बजट चाहिए। इसे बजट का हिस्सा बनाने के लिए ब्योरा पेश किया। सोमवार को शोक प्रस्ताव में ज्यादा समय लगने के कारण अनुपूरक बजट पेश नहीं हो पाया था।

उधर पहले विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन के शुरू होते ही कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहले दिन हुए हंगामे को लेकर सदन में प्‍वाइंट ऑफ आर्डर लाया और कहा कि कांग्रेस के विधायकों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है। जबकि सत्ता पक्ष के विधायक और मंत्री ने धक्के मुक्के शुरू की उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सुक्‍खू ने कहा कांग्रेस के 5 विधायकों के निलंबन को वापस लिया जाए अन्यथा कांग्रेस के विधायक सदन को नहीं चलने देंगे।

जिस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के एक साल का लेखा जोखा होता है, जिसको सदन में रखा जाता है और यह राज्यपाल पर निर्भर होता है कि उन्होंने पूरा अभिभाषण पढ़ना है या नहीं। राज्यपाल को राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान की तरह ही सम्मान देना होता है। राज्यपाल की कार पर जिस तरह से मुक्के मारने और सुरक्षा कर्मियों पर जिस तरह से हाथ डाला गया है उसे सहन नहीं किया जा सकता है। सदन से पहली बार विधायकों को बाहर नहीं किया गया है इससे पहले भी इस तरह की घटना हो चुकी हैं। कांग्रेस के विधायकों के निलंबन को आपसी बातचीत से बहाल किया जा सकता है। लेकिन कांग्रेस के विधायकों को पहले बिना किसी कंडीशन के राज्यपाल से माफी मांगनी होगी। इसके बाद ही बातचीत से बहाली पर निर्णय लिया जा सकता है। सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री और मंत्री पहले ही पूरे घटनाक्रम को लेकर माफी मांग चुके हैं, अब बारी कांग्रेस की है पहले माफी मांगे उसके बाद निर्णय होगा।

विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि सत्तापक्ष और पक्ष ने मामले को लेकर अपना पक्ष रख दिया है, जिस पर कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने भी चर्चा में भाग लेने की अध्यक्ष से इजाजत मांगी। कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि राज्यपाल अभिभाषण पूरा नहीं देना चाहते इसकी जनाकारी विपक्ष को क्यों नहीं दी गई। विपक्ष राज्यपाल का घेराव नहीं कर रहा था, बल्कि शांतिप्रिय ढंग से अपना प्रदर्शन कर रहा था लेकिन सरकार ने राज्यपाल के जाने के रास्ते को क्यों क्लीयर नहीं करवाया उनको गमले के ऊपर से क्यों ले जाया गया।इस बीच विधानसभा उपाध्यक्ष ने बोलना शुरू कर दिया, जिस पर सदन में कांग्रेस के विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को शांत करवाया और मुख्यमंत्री को चर्चा में भाग लेने के लिए व्यवस्था दी

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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