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पहाड़ी लसुहन की दक्षिण भारत की मंडियों में भारी डिमांड
   
शिमला  20 मई   ।  बारिश व अंधड़ का दौर बंद होने से  जुन्गा  क्षेत्र में ़ इन दिनों किसानों ने लसुहन की खुदाई का कार्य प्रगति पर  है। लसुहन को किसानों द्वारा खुदाई के उपरांत सुखाया जा रहा है । हालांकि लसुहन की फसल करीब 15 दिन पहले तैयार हो चुकी थी परंतु लगातार बारिश ़ के कारण लसुहन की खुदाई का कार्य बाधित हो रहा था । बता दें  असमय बारिश होने से लसुहन की फसल काफी  प्रभावित हुई है । बारिश से  खेतों में अत्यधिक नमी आने से लसुहन का रंग काला और उसकी पंखुड़ियां खिलने लग गई है जिससे  लसुहन का रंग काला पड़ने से किसान को मार्केटिग की समस्या सताने लगी है ।
गौर रहे कि सिरमौर की तर्ज पर जुन्गा क्षेत्र में भी किसानों ने लुसहन उत्पादन का अपनी आजीविका का साधन बनाया है ।  हर वर्ष सैंकड़ों टन लसुहन इस क्षेत्र से प्रदेश व दक्षिण भारत की मंडियों में पहूंचता है । प्रगतिशील किसान सुरेन्द्र ठाकुर, प्रीतम ठाकुर ने बताया कि इस क्षेत्र में उत्पादित लसुहन की दक्षिण भारत की मंडियों में बहुत डिमांड हैं चूंकि सिरमौर व इस क्षेत्र का लसुहन औषधि के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है ।
आढ़ती विनोद शर्मा ने बताया कि सोलन मंडी में लसुहन की आवक काफी बढ़ रही है और इन दिनों अच्छी क्वालिटी के लसुहन 90 से 110 रूपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है  ।      कृषि विभाग के अनुसार शिमला जिला में लसुहन का उत्पादन केवल चार ब्लॉक मशोबरा, बसंतपुर, रामपुर और चौपाल के नेरवा क्षेत्र में किया जाता है जिसमें अधिकतर  लसुहन की पार्वति  किस्म उगाई जाती है ।   विभागीय अधिकारी का कहना है कि  शिमला जिला के निचले क्षेत्रों में करीब 21 हैक्टेयर भूमि पर लसुहन का  उत्पादन किया जाता है जिसमें   औसतन  2500 मिट्रिक टन लसुहन पैदा होता है। बताया  लसुहन की खेती जुन्गा क्षेत्र में काफी बड़े पैमाने पर की जाने लगी है जोकि किसानों की आय का एक सशक्त साधन बन चुका है ।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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