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शिमला,हिमशिखा न्यूज़ 

हिमाचल प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की जांच में बीते दिनों कुछ कुलपति अयोग्य घोषित किए गए थे। सात विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने आयोग के समक्ष उन पर लगे आरोपों पर दोबारा विचार करने को आवेदन किया था।   आयोग की जांच कमेटी ने सातों कुलपतियों के साथ एक-एक कर चर्चा की। छह कुलपति इस दौरान संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। एक कुलपति को आयोग ने राहत देते हुए पद पर बने रहने की मंजूरी दे दी है। अयोग्य साबित छह कुलपतियों को उनके पदों से हटाने के लिए आयोग ने संबंधित चांसलरों को निर्देश जारी कर दिए हैं। आयोग ने इस बाबत की गई कार्रवाई की दस दिन में चांसलरों से रिपोर्ट मांगी है।समय रहते चांसलरों ने इन कुलपतियों को नहीं हटाया तो आयोग खुद इस मामले में कार्रवाई करेगा। नियामक आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि किसी  विशेष विश्वविद्यालय या व्यक्ति विशेष के खिलाफ यह कार्रवाई नहीं की गई है। निजी विश्वविद्यालयों के सुदृढ़ीकरण और गुणात्मक उच्च शिक्षा के लिए यह कदम उठाए हैं। उन्होंने सभी निजी विश्वविद्यालयों के चांसलरों को हिदायत देते हुए कहा कि नई नियुक्ति यूजीसी के नियमानुसार हो 
इन छह कुलपतियों पर गिरी गाज
आयोग ने एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी, एमएमयू, आईसीएफआई यूनिवर्सिटी, इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, अरनी यूनिवर्सिटी समेत एक अन्य यूनिवर्सिटी के कुलपति को दूसरी बार अयोग्य करार दिया है। इन कुलपतियों पर प्रोफेसर नियुक्त होने के समय पीएचडी न करने का आरोप है। यूजीसी ने 70 वर्ष से कम आयु, प्रोफेसर के पद पर कम से कम दस वर्ष सेवा देने का अनुभव और प्रोफेसर को पीएचडी होने पर ही कुलपति लगाने का प्रावधान किया है। 

इटरनल यूनिवर्सिटी के वीसी को राहत
इटरनल यूनिवर्सिटी के कुलपति को आयोग की जांच कमेटी ने अयोग्यता के दायरे से बाहर कर दिया है। विवि के कुलपति का पक्ष सुनने के बाद आयोग ने उन्हें बतौर कुलपति सेवाएं देने का फैसला लेते हुए राहत दी। इनके सभी दस्तावेजों की जांच करने का फैसला भी लिया गया है। 

तीन कुलपति पदों से दे चुके हैं इस्तीफा
शूलिनी, बाहरा और बद्दी विश्वविद्यालयों के कुलपति बीते दिनों ही अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। बद्दी और शूलिनी विवि के कुलपतियों की आयु अधिक थी, जबकि बाहरा विवि के कुलपति के पास न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता नहीं थी।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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