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शिमला,हिमशिखा न्यूज़ 

प्रदेश के 89.2 फीसदी लोग आपसी सहमति से पंचायतों के प्रतिनिधियों को चुनना चाहते हैं। वजह यह है कि इससे पंचायत के कार्यक्रमों को लेकर टकराव नहीं रहता, इसके साथ ही लोगों के आपसी संबंध भी मधुर रहते हैं। ये चुनाव रिश्तों में टकराव पैदा करते हैं। ऐसे कई रोचक तथ्य विवि के अंतर्विषयक विभाग के पंचायती राज आस्थाओं के सुदृढ़ीकरण में जनसहभागिता की चुनौती विषय पर ऑनलाइन सर्वेक्षण में सामने आए।

20 से 26 दिसंबर तक किए ऑनलाइन सर्वेक्षण में 12 जिलों के 60 खंडों, 333 पंचायतों के 552 उत्तर दाताओं को शामिल किया गया। इनमे 77.2 फीसदी पुरुष 22.8 फीसदी महिलाएं शामिल हुईं। वहीं 49.1 फीसदी युवक छात्र या बेरोजगार थे। मुख्य अन्वेषक डॉ. बलदेव सिंह नेगी ने बताया कि 87.8 फीसदी ने माना कि पंचायत स्तर की राजनीति से विकास में अड़चनें पैदा होती हैं

उनका मानना है कि निर्विरोध पंचायतें चुनी जाएं ,तो विकास तेजी से होगा। 50 फीसदी ने माना कि सहमति से पंचायत चुनना मुश्किल है, मगर प्रयास जरूर हों। 75 फीसदी मानते हैं कि चुनाव पार्टी चुनाव चिन्ह पर ही होने चाहिए। 57.2 फीसदी ने माना कि चुनाव पार्टी चुनाव चिन्ह पर होने से विकास कार्य क्रियान्वयन की जिम्मेदारी व्यक्तिगत न होकर दल या पार्टी की होगी, विपक्ष भी खुलकर दूसरे की आलोचना कर सकेगा।

जो अभी नहीं हो पाता है। 83.2 फीसदी ने माना कि ग्राम सभा का कोरम पूरा न होने से स्थगित होती है, विकास रुकता है। 55.7 फीसदी बोले कि घर-घर जाकर साइन लेकर कोरम पूरा करवाया जाता है। सर्वेक्षण में 83.8 फीसदी ने कहा कि पंचायत कार्य में और पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। वहीं 78.4 फीसदी ने माना कि ग्राम सभा में जन सहभागिता बढ़ाना मुख्य मुद्दा बनना चाहिए। डॉ. बलदेव नेगी ने कहा कि पंचायतों में जन भागीदारी बढ़ा मुद्दा है, जिस पर हर मतदाता को ध्यान देना होगा कि कौन ऐसा व्यक्ति होगा जो जन भागीदारी सुनिश्चित करेगा।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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