शिमला,हिमशिखा 19/11/2022
लिए नहीं कर सकती. सरकार इस मामले में निजी लोगों से बराबरी के हक की अपेक्षा नहीं कर सकती. सरकार के पास आम जनता के टैक्स के पैसे की कीमत पर सरकारी वाहनों पर वीआईपी नंबरों के भुगतान का तरीका कतई ठीक नहीं है. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में याचिकाकर्ता ने अपनी गाड़ी के लिए नियमानुसार क्रम संख्या 0006 के आवंटन के लिए 50,000/- रुपये की राशि परिवहन विभाग के पास जमा करवाई थी. राशि जमा करवाने के बाद भी ये नंबर उसे नहीं दिया गया. फिर प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी. न्यायालय ने पाया कि राज्य सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना के तहत वाहनों की क्रम संख्या 0001 से 0010 तक केवल सरकारी वाहनों के लिए आरक्षित रखी गई है. सरकारी वाहनों के लिए इस क्रम संख्या की कीमत एक लाख रुपए प्रति नम्बर रखी गई है. कोर्ट ने अधिसूचना में राज्य सरकार के लिए आम जनता के टैक्स की कीमत पर इस तरह की व्यवस्था पर हैरानी जताई है.