शिमला,हिमशिखा न्यूज़
कॉलेज में “स्पोर्ट्स एंड कल्चरल” कोटा खत्म करना युवाओं को खेल से दूर करने जैसा: अभाविप
“स्पोर्ट्स एंड कल्चरल” कोटा फिर से लागू करे सरकार:अभाविप
वर्तमान समय में टोक्यो ओलंपिक्स चला है विश्व भर के खिलाड़ी वहां अपनी खेल की क्षमता और प्रतिभा का हुन्नर दिखा रहे है, ऐसे समय में सभी देशों की निगाहें अपने देश की जीत को लेकर उत्सुकता और रुचि देखने को मिलती है। इसी पटल में भारत देश भी अनेकों खेल क्षेत्र में अपना दम दिखाने का काम कर रहा है हर भारतीय की नजर अपने खिलाड़ियों पर है आज पहले ही दिन भारत ने हॉकी में जीत हासिल की है और वेट लिफ्टिंग में पदक हासिल किया है विजय के इस पल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्रत्येक देशवासी को शुभकामनाएं प्रेषित करती है।भारत देश ने खेल के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से विश्वभर में कई कीर्तिमान स्थापित किए है अनेकों पदक देश के गौरव के लिए जीते है। हिमाचल प्रदेश के युवा भी टोक्यो ओलंपिक्स में भाग लेते हुए देश का मान बढ़ाने में भूमिका निभा रहे है और प्रत्येक प्रदेशवासी को खुशी की बात है।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत सह मंत्री विक्रांत ने कहा कि हिमाचल के महाविद्यालयों में 26 जुलाई से एडमिशन शुरू होने जा रही है जो पिछले वर्ष के मुताबिक भिन्न प्रक्रिया और भिन्न आधार के माध्यम से हो रही है पिछले वर्ष तक रोस्टर 120 के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया प्रशासन और विभाग द्वारा की जाती थी लेकिन इस वर्ष रोस्टर 200 के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया चलेगी।उन्होंने कहा कि इस वर्ष लागू होने जा रहे इस रोस्टर के अनुसार एडमिशन में "स्पोर्ट्स एंड कल्चरल" कोटा नहीं है जिसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कड़ी निन्दा करती है।
विक्रांत ने कहा कि पढ़ाई में स्पोर्ट्स एंड कल्चरल कोटा को खत्म करना युवाओं को खेल से दूर करना जैसा है एकतरफ केंद्र सरकार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल के क्षेत्र में “खेलो इंडिया” जैसे नए आयाम स्थापित कर रही है वहीं हिमाचल प्रदेश में प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग छात्रों को खेल और संस्कृति से दूर करने का विपरीत कार्य कर रही है।वर्तमान समय में युवाओं को नशाखोरी जैसे कुविचारों से दूर रखने के लिए सबसे अच्छा माध्यम खेल और संस्कृति को बढ़ावा देना है।लेकिन ऐसे समय में महाविद्यालयों से स्पोर्ट्स एंड कल्चरल कोटा खत्म करना कहीं न कहीं खिलाड़ियों के मनोबल को गिराने जैसा है। प्रत्येक महाविद्यालय के खिलाड़ी अपने महाविद्यालय और क्षेत्र का नाम रौशन करते है जो इसी श्रेणी में आगे चलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते है। सरकार और प्रशासन को शिक्षा क्षेत्र में “स्पोर्ट्स एंड कल्चरल” कोटा को फिर से लागू करना चाइए ताकि विद्यालय स्तर से ही शिक्षा के साथ साथ खेल के क्षेत्र में अपना भविष्य बना रहे छात्रों को भविष्य के लिए नए नए आयाम मिल सके और प्रदेश के युवाओं को नशे से भी दूर रखा जा सके।