शंख का स्वास्थय एवं धार्मिक कार्य में महत्व
स्वास्थ्य में महत्व :
शंख की आकृति और पृथ्वी की संरचना समान है। नासा के अनुसार – शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जो जीवाणु का नाश कर लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है।
शंख में १००% कैल्शियम है। इसमें रात को पानी भर के पीने से कैल्शियम की पूर्ति होती है।
शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएं एक साथ होती हैं – कुम्भक, रेचक, प्राणायाम।
शंख बजाने से हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा, मंदाग्नि में लाभ होता है।
शंख बजाने से फेफड़े पुष्ट होते हैं।
शंख में पानी रख कर पीने से मनोरोगी को लाभ होता है, उत्तेजना कम होती है।
शंख की ध्वनि से दिमाग व स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है।
धार्मिक महत्व :
दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी स्वरूप कहा जाता है। इसके बिना लक्ष्मी जी की आराधना पूरी नहीं मानी जाती।
समुन्द्र मंथन के दौरान १४ रत्नों में से ये एक रत्न है। सुख- सौभाग्य की वृद्धि के लिए इसे अपने घर में स्थापित करें।
घर में शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा का व अतृप्त आत्माओं का वास नहीं होता।
दक्षिणावर्ती शंख से पितरों का तर्पण करने से पितरों की शांति होती है।
शंख से स्फटिक के श्री यन्त्र अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः
हर हर महादेव