शिमला,हिमशिखा न्यूज़
हिमाचल प्रदेश में प्राइवेट शिक्षा संस्थानों में नियुक्तियों को लेकर हुई अनियमितताओ की जांच चल रही है। अब प्रदेश में निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों की नियुक्ति प्रक्रिया भी जांचने का काम शुरू हो गया है। राज्य निजी शिक्षण नियामक आयोग ने सभी डिग्री, तकनीकी और मेडिकल कॉलेजों से 15 दिसंबर तक रिकॉर्ड मांगा है। प्रिंसिपलों की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। निजी विश्वविद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों का रिकॉर्ड खंगालने का काम भी शुरू हो गया है।हिमाचल में निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग का गठन होने के बाद पहली बार कुलपतियों, प्रिंसिपलों और शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की जा रही है। बीते दस वर्षों के दौरान खुले निजी शिक्षण संस्थानों से कभी पड़ताल नहीं हुई है। आयोग की इस कार्रवाई से कई निजी संस्थानों में हड़कंप है।प्रदेश में चल रहे 16 निजी विश्वविद्यालयों में से दस विवि के कुलपति अयोग्य पाए गए हैं।
यह जांच पूरा करने के बाद अब आयोग ने निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों पर शिकंजा कसना शुरू किया है। आयोग ने सभी निजी कॉलेजों को पत्र जारी कर प्रिंसिपलों से संबंधित रिकॉर्ड मांगा है। रिकॉर्ड की जांच को जल्द आयोग एक कमेटी का गठन करेगा। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि निजी शिक्षण संस्थानों में गुणात्मक शिक्षा मिले, इसके लिए प्रिंसिपलों और शिक्षकों का योग्य होना बहुत जरूरी है। इसके चलते आयोग ने प्रिंसिपलों की नियुक्ति प्रक्रिया और उनकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित सारा रिकॉर्ड तलब किया है।
दो निजी विवि के कुलपतियों ने दिया स्पष्टीकरण
प्रदेश के दो निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने उनकी योग्यता को लेकर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग से गठित कमेटी के सवालों पर स्पष्टीकरण दिया है। दो कुलपतियों ने अपनी नियुक्ति प्रक्रिया सहित शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज आयोग के पास जमा करवा दिए हैं।इनकी पड़ताल आयोग ने शुरू कर दी है। अगर इनके दस्तावेज सही पाए जाते हैं तो इन्हें अयोग्य कुलपतियों की सूची से बाहर कर दिया जाएगा। बीते दिनों आयोग की ओर से गठित की गई कमेटी ने जांच के बाद दस निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अयोग्य करार दिया है।